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मैं सत्य कहता हूँ सखे सुकुमार मल मानो मुझे।
समराज से भी सुद्ध को प्रस्तुत सदा मानो मुझे । इस काव्य पाक्त में
रस का नाम लिखिए ।
(ख) - शृंगार
(क). हास्य
(IT) - वीर
(घ). भयानक
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पंक्ति में वीर रस हैं
Explanation:
इस पंक्ति में वीर रस हैं।
वीर रस-
इसका स्थायी भाव उत्साह होता है इस रस के अंतर्गत जब युद्ध अथवा कठिन कार्य को करने के लिए मन में जो उत्साह की भावना विकसित होती है उसे ही वीर रस कहते हैं इसमें शत्रु पर विजय प्राप्त करने, यश प्राप्त करने आदि प्रकट होती है
रस के भेद-
रस नौ प्रकार के होते हैं परन्तु वात्सल्य एवं भक्ति को भी रस माना गया हैं :
1. Shringar Ras (श्रंगार रस)
2. Hasya Ras (हास्य रस)
3. Veer Ras (वीर रस)
4. Karun Ras (करुण रस)
5. Shant Ras (शांत रस)
6. Adbhut Ras (अदभुत रस)
7. Bhayanak Ras (भयानक रस)
8. Raudra Ras (रौद्र रस)
9. Vibhats Ras (वीभत्स रस)
10. Vatsalya Ras (वात्सल्य रस)
11. Bhakti Ras (भक्ति रस)
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