1) 'मातृदेवो भव' का मंत्र किस पुस्तक में आता है?
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¿ 'मातृदेवो भव' का मंत्र किस पुस्तक में आता है ?
➲ तैत्तिरियोपपनिषद
✎... ‘मातृ देवो भव:’ यह मंत्र भारतीय जीवन दर्शन के तैत्तिरियोपनिषद में आता है। तैत्तिरियोपनिषद 10 प्रमुख उपनिषदों में से एक उपनिषद है। यह उपनिषद तीन खंडों में विभक्त है, इसमें कुल 53 मंत्र हैं।
इस उपनिषद के एक मंत्र के अनुसार...
मातृ देवो भव। पितृ देवो भव।
आचार्यदेवो भव। अतिथि देवो भव।
अर्थात अपनी माता को सदैव देवता के समान समझना चाहिये। अपने पिता को भी सदैव देवता के समान समझना चाहिये। अपने गुरु को भी सदैव देवता के समान समझना चाहिये। अपने घर आये किसी भी अतिथि को सदैव देवता के समान मानकर उसका उचित स्वागत-सत्कार करना चाहिये।
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