1. महात्मा हंसराज के जन्म तथा मृत्यु होने के स्थानों का नाम बताओ।
2. महात्मा हंसराज के बड़े भाई का नाम क्या था? उन्होंने उनकी
कैसे सहायता की?
3. महात्मा हंसराज ने कितने वर्ष तक डी. ए. वी. संस्था का आचार्य
पद सँभाला?
4. महात्मा हंसराज के सहपाठियों में ऐसे किन्हीं दो के नाम बताओ
जो बाद में प्रसिद्ध व्यक्ति बने।
5. महात्माजी का बड़ा पुत्र बलराज क्यों गिरफ्तार किया गया था?
Answers
Answer:
पूरा नाम महात्मा हंसराज
जन्म 19 अप्रैल, 1864
जन्म भूमि पंजाब
मृत्यु 15 नवम्बर, 1938
मृत्यु स्थान लाहौर
अभिभावक चुन्नीलाल
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र समाज सुधारक और शिक्षाविद
विद्यालय 'गवर्नमेंट कॉलेज', लाहौर
शिक्षा स्नातक
विशेष योगदान महात्मा हंसराज ने शिक्षा के प्रसार-प्रचार के क्षेत्र में अनुकरणीय योगदान दिया था।
नागरिकता भारतीय
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महात्मा हंसराज (अंग्रेज़ी: Mahatma Hansraj, जन्म- 19 अप्रैल, 1864, पंजाब; मृत्यु- 15 नवम्बर, 1938, लाहौर) पंजाब के प्रसिद्ध आर्य समाजी नेता, समाज सुधारक और शिक्षाविद थे। उनके महत्त्वपूर्ण योगदान और प्रयासों के फलस्वरूप ही देशभर में डी.ए.वी. के नाम से 750 से भी अधिक विद्यालय व महाविद्यालय गुणवत्तापरक शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। हंसराज जी स्वामी दयानन्द सरस्वती के विचारों से बहुत अधिक प्रभावित थे। वे जातिवाद के प्रबल विरोधकर्ता थे।
जन्म तथा शिक्षा
महात्मा हंसराज का जन्म 19 अप्रैल, 1864 ई. को होशियारपुर ज़िला, पंजाब के बजवारा नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता चुन्नीलाल जी साधारण परिवार से सम्बन्ध रखते थे। हंसराज जी का बचपन अभावों में व्यतीत हुआ था। वे बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के थे। केवल 12 वर्ष की उम्र में ही इनके पिता का देहांत हो गया। हंसराज जी की आंरभिक शिक्षा स्थानीय स्कूल से ही प्रारम्भ हुई थी। डिग्री की शिक्षा उन्होंने 'गवर्नमेंट कॉलेज', लाहौर से पूरी की।
स्वामी दयानन्द का प्रभाव
सन 1885 में जब वे लाहौर में अपने बड़े भाई मुल्कराज के यहाँ रहकर शिक्षा प्राप्त कर रहे थे, उसी समय लाहौर में स्वामी दयानन्द सरस्वती के सत्संग में जाने का अवसर इन्हें मिला। स्वामी दयानन्द के प्रवचन का युवक हंसराज पर बहुत प्रभाव पड़ा। अब उन्होंने समाज सेवा को ही अपने जीवन का लक्ष्य बना लिया। हंसराज जी आवश्यक कार्यों से बचा सारा समय मोहल्ले के ग़रीब तथा अनपढ़ लोगों की चिट्ठी-पत्री पढ़ने और लिखने में ही लगा देते थे।
Answer:
Explanation:
Mahatma hansraj ke bhai ka naam मुलखराज था।
लगभग 25 वर्षों, अर्थात् 2011 तक वे इस पद पर बिना वेतन के कार्य करते रहे। 1913 ई• में उन्हें डीएवी कॉलेज कमेटी का प्रधान चुना गया। उनके इन्हीं समर्पण के लिए लाला हंसराज को महात्मा हंसराज के नाम से जाना गया