1. मनुष्य की सामाजिकता कैसे कायम है ?
(क) भाषा से
(ख) धन से
(ग) बल से
(घ) मधुरता से
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दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान। तुलसी दया न छांडि़ए, जब लग घट में प्राण। अर्थ- गोस्वामी तुलसीदासजी कहते हैं - मनुष्य को दया कभी नहीं छोडऩी चाहिए, क्योंकि दया ही धर्म का मूल है और इसके विपरीत अहंकार समस्त पापों की जड़ होता है।
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मधुरता से
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