Hindi, asked by tanwarkanishka743, 2 months ago

1) मस्तक नहीं झुकाएँगे
(रामधारी सिंह 'दिनकर' ने यह कविता भारत के वीर सपूतों को संबोधित करके लिखी है। कवि के युवा पोदी का
हुए बताया है कि आज का नवयुवक गुणों में अपने पूर्वजों से किसी भी भौति कम नहीं है। वह अपने
देश की प्रगति के लिए मर-मिटने को तैयार है।)
हम प्रभात की नई किरण है.
हम दिन के आलोक नवला
हम नवीन भारत के सैनिक,
धीर, वीर, गंभीर अचला
हम प्रहरी ऊँचे हिमाद्रि के.
सुरभि स्वर्ग की लेते हैं।
हम है, शांति दूत धरणी के.
छाँह सभी को देते हैं।
वीर प्रसू माँ की आँखों के.
हाम नवीन उजियाले हैं।
गंगा-यमुना, हिंदमहासागर,
के हम रखवाले हैं।
हम हैं शिवा- प्रताप, रोटियाँ
भले घास को खाएंगे।
मगर किसी जुल्मी के आगे.
मस्तक नहीं झुकाएंगे।
श्री रामधारी सिंह 'दिनकर'​

Answers

Answered by 8408030900nitin
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Answer:

आपको क्या इंसान चित्रपट निर्माते अतुल तापकीर यांची आत्महत्या केल्याची धक्कादायक माहिती नाही सर्वात जवळील खाजगी कूरियर उपलब्ध आहे

Answered by mithu456
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उत्तर:
रामधारी हि "दिनकर" ने यह कविता भारत के वीर सपूतों को संबोधित करके लिखी है। ऋदि ने युद्ध पोदी का अनुवागात करते हुए बताया है कि आज का नवयुवक गुणों में आपने पूर्वजों में किसी भी भीति कम नहीं है।
हम प्रभात--------------------गंभीर अचला
व्याख्या:
कवि का कहना है कि जिस प्रकार एक नई सुबह अपने साथ एक नई उम्मीद की किरण लिए प्रकाशित होता है, ठीक उसी प्रकार देश के नवीन बालक बालिकाएंँ भी नए भारत की रोशनी के समान है। वे भारत के सैनिक है। जिनमें धैर्यशीलता, साहसी गंभीर और दृढ़ संकल्प जैसे गुण मौजूद है।
हम प्रहरीप्रहरी-------------स्वर्ग की लेते हैं।
व्याख्या:
 कवि ने देश के बालक बालिकाओं को हिमगिरी के प्रहरी कहा है क्योंकि हिमगिरी पर्वत भारत देश की सीमाओं पर स्थित है। और देश की सीमा लांगकर कोई दुश्मन आ न सके इस हेतु भारत के नौजवान हमेशा हिमगिरी पर पहरा देकर अपने देश को दुश्मनों से बचाते आए हैं।यहांँ स्वर्ग की सुरभि से मतलब उन सुंदर-सुंदर वादियों से है, जो हिमगिरी के पर्वतों पर स्थित है। जहांँ रहने पर स्वर्ग जैसा एहसास मिलता है।
हम है,-----++++-----------------रखवाले हैं।
 व्याख्या:
कवि कह रहा है वीर सैनिकों ने इस धरती पर शातिं का रूप धारण किया हुआ है भारत माता कि प्रंशसा में कह रहे हैं हमारी भारत माता बड़ी महान है|क्योंकि उसने ही वीर देशभक्तों को जन्म दिया है|
हमारा इतिहास पराक्रमी पुरूषों की गथाओ से भरा पड़ा है इसी कारण हम वीरों की वह पीढ़ी है जो भारत माता की आंखों में हमेशा नयी ज्योति भरेगी|माँ की आंखों में वीर पुत्रों की माँ कहलाने की चमक हम कभी कम न होने देंगे|हमारे देश के गले का हार है जो
गंगा-यमुना, नदियाँ हैं जो हम उसकी रक्षा करेंगे हिंदमहासागर भारत माता के चरण पखारता है उसकी भी हम रक्षा करते हैं
हम हैं शिवा- ------------------ झुकाएंगे।
 व्याख्या
कवि का कहना है कि हम ऐसे शिवाजी और प्रताप के वंशज है जिन्होंने हार न मानते हुए घास की रोटी खाकर भी शत्रु से संघर्ष किया था। ठीक उसी प्रकार हम भी कठिन से कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं। और यह भी उपदेश दिया है कि अत्याचारी या पाखंडियों के आगे कभी भी अपना सिर नहीं झुकाना चाहिए।
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