1). Matti Se Matti Mile Khoke Sabhi Nishan,
Kisme Kitna Kaun hai
kaise ho pehechan...!
2). Sabki puja ek si, alag alag hai reet
masjid jaye maulvi, koyal gaye geet...!
3). Nadiyan seechain khet ko, tota kutre aam
suraj thekedaar sa, sabko baatein kaam...!
Is kavita ka arth spasht kijiye
Answers
Answer:
is Kavita Mein Kavi Hamen Samjhana Chahta Hai Ki Har Insan Usi Bhagwan ki Puja karta hai lekin Har Insan vah Hindu Hai To vah Mandir jata hai agar vah Muslim hai to vah Masjid dalta Hai Kyunki Koyal Koyal Sabke Liye geet Gati Hai Chahe vah Hindu Ho Chahe Mujhse Ho
कविता का अर्थ निम्नलिखित रूप से स्पष्ट है -
Explanation:
1. इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि सभी जीव मिट्टी से बने हुए हैं और मरने के बाद भी सभी जीव मिटटी में मिल जाते हैं। अर्थात् सभी मनुष्य समान हैं। उनमें भेद भाव करना सही नही है।
यह किसी को भी नही पता होता है कि उस मिट्टी में कौन कौन सी मिट्टी मिली हुई है अर्थात् मनुष्य में कितनी मनुष्यता है और कितनी पशुता। अतः जब सभी मनुष्यों में एक ही तत्व समाया हुआ है तो उनको अलग अलग करना सही नही है। इसे पहचानने कि कोशिश भी व्यर्थ है।
2. इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि सभी धर्मों की पूजा एक समान होती है बस रीति अलग अलग होती है। जैसे मोलवी मस्जिद में जा कर लोगों को खुदा की इबादत से प्रसन्न करते हैं, वैसे ही कोयल बाग़ में कूक कर लोगों को प्रसन्न और पवित्र करती है।
3. इन पंक्तियों के माध्यम से लेखक कहना चाहता है कि जिस तरह नदियाँ खेत को सींच कर अपना काम करती हैं, उसी तरह बाग में आम खा कर तोता भी अपना काम करता है। सूरज ठेकेदार के समान उठ कर इस संसार के सभी प्राणियों और जीव जंतुओं को काम बांटता है। अर्थात् काम करने की प्रेरणा देता है।