1) नाभिकीय प्रदूषण के प्रभाव 150words
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रेडियोधर्मी कचरा वह कचरा है जिसमे रेडियोधर्मी पदार्थ मौजूद हो | परमाणु ऊर्जा उत्पादन के विभिन्न चरणों में दौरान उत्पादित अपशिष्ट पदार्थ को सामूहिक रूप से परमाणु कचरे के रूप में जाना जाता है | आम तौर पर रेडियोधर्मी कचरे , परमाणु बिजली उत्पादन और परमाणु विखंडन या परमाणु प्रोदयोगिकी के अन्य अनुप्रयोगों जैसे अनुसंधान और दवा के उत्पाद होते हैं | विज्ञान तथा तकनीकी के इस युग में मानव को जहाँ कुछ वरदान मिले है वही कुछ अभिशाप भी मिले हैं | प्रदुषण उसी में से एक अभिशाप है जिसका जन्म विज्ञान कि तरक्की के साथ हुआ है | आज हवा , पानी , मिट्टी से लेकर खानपान कि विविध वस्तुएं तक चपेट में आ चुकी हैं | नाभिकीय प्रदुषण उच्च ऊर्जा कणों या रेडियोधर्मी पदार्थो का उत्सर्जन है जिससे हवा , पानी या भूमि पर मानव या प्राकर्तिक जीव-जंतु प्रभावित हो सकते हैं | रेडियोधर्मी कचरा आमतौर पर नाभिकीय प्रक्रियाओ जैसे नाभिकीय विखंडन से पैदा होता है | इसमें रेडियोधर्मी कणों का लगभग 15 से 20% हमारे वायुमंडल से स्ट्रेटोस्फीयर में प्रवेश कर जाता है |
परमाणु कचरे की रेडियोधर्मी समय के साथ कम होती है | इसका मतलब है कि कचरे को जीवधारी कि पहुँच से दूर रखा जाए जब तक कि वह सुरक्षित न हो जाएं | यह समयवधि कुछ दिनों से लेकर चंद महीनो तक , या फिर कुछ मामलो में बरसों तक हो सकता है | यह कचरे के रेडियोधर्मी प्रकृति पर निर्भर करता है | विस्फोट के कण या विस्फोट के प्रभाव का पेड़-पौधों कि पत्तियों और उतकों पर दुष्प्रभाव पड़ता है | ये ये पत्तियाँ चरने वाले पशुओ और इन पर निर्भय रहने वाले जीवो के लिये खतरनाक होती हैं | इनमे रेडियोधर्मी आयोडीन खादय-श्रंखला के जरिये मानव शरीर में प्रवेश कर जाती है | इससे इंसान में थायराइड का कैंसर होता है | “नाभिकीय अवपात“ का लंबी अवधि तक वातावरण में रह जाना जीव-जन्तुओ के लिए खतरनाक है | नाभिकीय विस्फोट एक अनियंत्रित श्रंखला अभिक्रिया का नतीजा होता है | मसलन अप्रयुक्त विस्फोट U-235 , एवं Pu-239 , तथा विस्फोट से प्राप्त विखंडित उपोत्पाद जैसे स्ट्राशियम-90 , आयोडीन-131 और सीजियम-137 हैं |
विस्फोट बल और तापमान में अचानक वृद्धि इन रेडियोधर्मी पदार्थों को गैसों में परिवर्तन कर देता है और अधिक या कम कणों के रूप में वातावरण में बहुत ऊँचाई तक चले जाते हैं | विखंडन बम की तुलना में संलयन बम के मामले में ये कण कही ज्यादा ऊँचाई तक चले जाते हैं | इसका तात्कालिक परिणाम विस्फोट-स्थल पर एक प्राथमिक वातावरणीय प्रदुषण के रूप में होता है | तथा इसका दवितीयक प्रभाव “नाभिकीय अवपात” के रूप में होता है | इन रेडियोधर्मी पदार्थो का प्रभाव वर्षा तक वायुमंडल में बना रहता है |