1. नाभिषेको न संस्कारः सिंहस्य क्रियते मृगैः।
विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेन्द्रता ॥1॥
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Answer:
नाभिषेको न संस्कार: सिंहस्य क्रियते मृगैः । विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता॥" इस श्लोक का क्या अर्थ है?
यह श्लोक सर्वश्रेष्ठ इन्सान या सर्वश्रेष्ठ राजा की पहचान कराने के मंशा बना हुआ श्लोक हैं । जो यह अर्थ प्रतिपादित करता हैं -
"नाभिषेको न संस्कार: सिंहस्य क्रियते मृगैः ।
ना किसी तरह का कोई अभिषेक किया जाता हैं, ना ही कोई अलग या विशेष संस्कार उसे दिये जाते हैं फिर भी सिंह को जंगल का राजा किसने बनाया ??
विक्रमार्जितराज्यस्य स्वयमेव मृगेंद्रता॥"
वह (इन्सान) जो अपने पराक्रम से अपना स्थान या अपने राज्य का निर्माण करता हैं वह स्वयं, स्वयम्भू 'मृगेंद्र' अर्थात शेरों का राजा या राजाओं का राजा कहलाता हैं ।
भावार्थ :-
** वह इन्सान जो अपने कर्म गुनों से जाना पहचाना जाता हैं उसे किसी के द्वारा सम्माननीय बनाने की जरूरत नहिं होती ।**
Explanation:
ना किसी तरह का कोई अभिषेक किया जाता है, ना ही कोई अलग या विशेष संस्कार उसे दिये जाते है फिर भी सिंह को जंगल का राजा किसने बनाया???