1.नीचे दिए गए गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर उनसे पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए हम सभी जानते हैं कि संघर्ष ही जीवन है। मानव को जीवन में अनेक प्रकार के संघर्ष करने पड़ते हैं। जिसमें उसे अनेक कष्टों को सहन करना पड़ता है। पुरुषार्थी मानव अपने पुरुषार्थ के बल पर सफलता प्राप्त कर लेता है। इस पुरुषार्थ का सबंध भी मानव मन से है क्योंकि व्यक्ति के सभी प्रकार के कर्म तथा व्यवहारों का नियंत्रण करने वाली यदि कोई शक्ति है, तो वह है -उसका मन। निराश मन वाला व्यक्ति अनेक प्रकार के साधनों से संपन्न होते हुए भी असफल हो जाता है, जबकि अपेक्षाकृत कम शक्ति सपन्न होते हुए भी चित्त की दृढ़ता से युक्त व्यक्ति कभी पराजय का मुंह नहीं देखता। कौरव सभी प्रकार की शक्तियों से संपन्न होते हुए भी पराजित हुए, क्योंकि पांडवों का मन असीम दृढ़ता एवं अदम्य शक्ति से युक्त था। उसी प्रकार के अनेक उदाहरण दिए जा सकते हैं। महात्मा गांधी के चित्त की दृढ़ता के समक्ष विशाल अंग्रेजी साम्राज्य को घुटने टेकने पर विवश होना पड़ा था। मन को दृढ़ता के बल पर ही प्राचीन काल में अनेक ऋषि - मुनि अनेक प्रकार की सिद्धियां प्राप्त कर लिया करते थे। मन की इच्छा के कारण ही कालिदास जैसा मूर्ख संस्कृत का सर्वश्रेष्ठ कवि बन पाया। जापानियों के मन के दृढ़ता-- विश्व युद्ध में परमाणु बम से होने वाली तबाही के बावजूद भी पुनः उठ खड़े हुए और आज विश्व के शीर्षस्थ राष्ट्रों में गिने जाते हैं।
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क) पुरुषार्थी व्यक्ति कैसे सफलता प्राप्त करता है?
ख) मन की दृढ़ता के आधार पर विजय प्राप्त करने से संबंधित गद्यांश में वर्णित किसी एक
उदाहरण का उल्लेख कीजिए।
ग) मानव को अपने जीवन में कष्ट सहन क्यों करना पड़ता है?
यों के मन की दृढ़ता का क्या परिणाम हुआ?
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उत्तर - क - पुरुषार्थी मानव अपने पुरुषार्थ के बल पर सफलता प्राप्त कर लेता है
उत्तर -ख- मन को दृढ़ता के बल पर ही प्राचीन काल में अनेक ऋषि - मुनि अनेक प्रकार की सिद्धियां प्राप्त कर लिया करते थे।
उत्तर -ग - सभी जानते हैं कि संघर्ष ही जीवन है। मानव को जीवन में अनेक प्रकार के संघर्ष करने पड़ते हैं। जिसमें उसे अनेक कष्टों को सहन करना पड़ता है।
उत्तर -घ- विश्व युद्ध में परमाणु बम से होने वाली तबाही के बावजूद भी पुनः उठ खड़े हुए और आज विश्व के शीर्षस्थ राष्ट्रों में गिने जाते हैं।
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