1. न चेदो गदयाींश हदए गए ैं। ककस गदयाींश को ध्यानपूवणक पह़िए और उस पर आधाररत प्रश्नों केउत्तर
दीजिए। (1x5=5)
युगों-युगों सेमानव इस धरत पर आसरा ललए ुए ै। प्रत्येक युग प्रनतक्षर् पररवनतणत ुआ ैइसललए क ा गया ैकक
समय पररवतणनश ल ै। िो आि मारेसाथ न ीीं ैकल मारेसाथ ोगा और म अपनेदुःुख और असफलता से
मुजतत पा लेगे, य ववचार ी मेंस िता प्रदान कर सकता ै। म दसू रेकी सींपन्नता, ऊँ चा पद और भौनतक साधनों
की उपलब्धता देखकर ववचललत ो िाते ैंकक य उसके पास तो ै, ककींतु मारेपास न ीीं ै, व मारेववचारों की
गरीब का प्रमार् ैऔर य ी बात अींदर ववकट अस ि भाव का सींचालन करत ै। ि वन मेंस िता का भाव न ोने
की वि सेअधधकतर लोग मेशा ी असफल ोते ैं। स ि भाव लानेकेललए मेंननयलमत रूप सेयोगासन-
प्रार्ायाम और ध्यान करनेकेसाथ-साथ ईश्वर का स्मरर् अवश्य करना चाह ए। इससे मारेतन-मन और ववचारों
केववकार बा र ननकलते ैंऔर तभ म स िता केभाव का अनुभव कर सकते ै। याद रखनेकी बात ैकक मारे
ववकार ी अींदर बैठकर अस िता का भाव उत्पन्न करते ैं। ईष्या-दवेष और परनन ींदा िैसेअवगुर् म अनिानेमें ी
अपना लेते ैंऔर अींतत: ि वन में र पल अस ि ोते ैं। अत: उससेबचनेकेललए आवश्यक ैकक म आध्यात्म
केप्रनत अपनेमन और ववचारों का रुझान रखें।
(क) गदयाींश केआधार पर बताइए कक मनुष्य की वैचाररक गरीब को प्रकट करनेवालेववचार ैं। (1)
(i) दसू रों की सींपन्नता सेववचललत ोना
(ii) दसू रों केऊीं चेपद सेववचललत ोना
(iii) (i) और (ii) दोनों
(iv) योगासन सेववचललत ोना
(ख) ि वन मेंस िता का भाव न ोनेसेअधधकतर लोगों पर तया प्रभाव पड़ता ै। (1)
(i) ि वन मेंसफल ोते ैं। (ii) ि वन मेंअसफल ोते ै
(iii) असफलता सेमुजतत पाते ैं (iv) इनमेंसेकोई न ीीं
(ग) गदयाींश केआधार पर स्पष्ट कीजिए कक स ि भावों को धारर् करनेकेललए मेंतया करना चाह ए? (1)
(i) योगासन- प्रार्ायाम (ii) ईश्वर का स्मरर्
(iii) ध्यान करना (iv) येसभ
(घ) मनुष्य में अस िता का ववकास कै से ोता ै। (1)
(i) आध्यात्य से (ii) ववचारों से
(iii) अींदर बैठे ववकारों से (iv) इनमें से कोई न ीीं
(ङ) गदयाींश के आधार पर स्पष्ट कीजिए कक यहद म आध्यात्म के प्रनत अपने मन और ववचारों का
रुझान रखें, तो ककससे बचा िा सकता ै? (1)
(i) स िता से (ii) अस िता से
(iii) सफलता से (iv) ये सभ
Answers
Answered by
1
Answer:
युग का अर्थ होता है एक निर्धारित संख्या के वर्षों की काल-अवधि। उदाहरणः कलियुग, द्वापर, सत्ययुग, त्रेतायुग आदि। युग वर्णन का अर्थ होता है कि उस युग में किस प्रकार से व्यक्ति का जीवन, आयु, ऊँचाई होती है एवं उनमें होने वाले अवतारों के बारे में विस्तार से परिचय दे।
Similar questions