1.निम्न गद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिए।
जो व्यक्ति सदगुण संपन्न होते हैं सदारी होते हैं, उनहित ही जिनके जीवन का लक्ष होता है। दे
महान पुरुष होते हैं, महात्मा होते हैं। दुष्टों के निरन्तर संसर्ग और संपर्क में रहते हुए उनके चखि
और स्दमाद पर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता। उनके स्वभाव में कोई दिकृति नहीं का पानी दै चंदन की
माँति दुमदृतियों के बीच रहते हुए भी समाज के संतापों को अपनी सीतलता से हटाते रहते हैं। अपने
गुणों की सुगंध से वातावरण को पवित्र बनाए रहते हैं। दे टुष्टों के प्रति निस्संग योर निर्लिप्त रहकरनी
अपना कार्य करते रहते असंगति का गुप्त प्रमाद हमारे आचरण पर बड़ा भारी पड़ता है, यह उक्ति
समान्य व्यक्तियों के लिए कही गई ही चंदन जैसे व्यक्तित्व और चरित्र दाले दृट और उदात्र स्वाद
दाले महापुरुषों पर यह लागू नहीं होता। वे लोग कुसंगति के प्रभाव से बहुत ऊपर उठ चुके होते हैं,
वह प्रभाव अन्हें छू भी नहीं पाता है। यहां एक बात और ध्यान देने योग्य है, वह यह कि चंदन का दृया
अपने अंगों से लिपटे हुए विषवरों के प्रति कमी कोई कटु प्रतिक्रिया नहीं करता, उसी तरह दे नहान
लोग भी दुष्टों के प्रति कोई घृणा, द्वेष या आक्रोष व्यक्त नहीं करते और न ही वे उन्हें दंड देने की
चेष्टा करते हैंr
प्रश्न-उचित विकल्य द्वारा उत्तर दीजिए-
(क) अष्टाध्यायी में समास है-
कर्मधारय समास दिगु समास
() द्वंद समास (क) तत्पुरुष समास
(ख) सज्जन सन्धि है-
व्यंजन संवि
विसर्ग संवि
(ज) स्वर संवि
(अयादि संधि
(ग) व्यक्तित्व का विलोम शब्द है-
सामाजिक
व्यक्तित्व
(निजी/
(1) अपनत्व
प्रल-2 संगति का प्रभाव मनुष्य पर कैसा पडता है ?
प्रश्न-3 आपके विचार से एक सद्गुरू सम्बन व्यक्ति का व्यक्तित्व कैसा होता है?
प्रश्न- प्रस्तुत गद्यांश का उपर्युक्त शीर्षक दीजिए-
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