1. निम्न लिखित कविता में से किसी एक का भावार्थ अपने शब्दों में लिखिए
हम बहता जल पीनेवाले
मर जाएँगे भूखे प्यासे
कही भली है कटु निबौरी
कनक कटोरी की मैदासे
या
हम पंछी उन्मुक्त गगन के
पिंजरबद्ध न गा पाएँगे,
कनक तीलियों से टकराकर
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हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का अर्थ: कवि शिवमंगलहम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता का अर्थ: कवि शिवमंगल सिंह सुमन ने हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता की इन पंक्तियों में पंछियों की स्वतंत्र होने की चाह को दर्शाया है। इन पंक्तियों में पक्षी मनुष्यों से कहते हैं कि हम खुले आकाश में उड़ने वाले प्राणी हैं, हम पिंजरे में बंद होकर खुशी के गीत नहीं गया पाएंगे। आप भले ही हमें सोने से बने पिंजरे में रखो, मगर उसकी सलाख़ों से टकरा कर हमारे कोमल पंख टूट जाएंगे।
आगे पक्षी कह रहे हैं कि हम तो बहते झरनों-नदियों का जल पीते हैं। पिंजरे में रहकर हमें कुछ भी खाना-पीना अच्छा नहीं लगेगा। चाहे आप हमें सोने की कटोरी में स्वादिष्ट पकवान लाकर दो, हमें तब भी अपने घोंसले वाले नीम की निबौरी ज्यादा पसंद आएगी। पिंजरे में हम कुछ भी नहीं खाएंगे और भूखे-प्यासे मर जाएंगे। सिंह सुमन ने हम पंछी उन्मुक्त गगन के कविता की इन पंक्तियों में पंछियों की स्वतंत्र होने की चाह को दर्शाया है। इन पंक्तियों में पक्षी मनुष्यों से कहते हैं कि हम खुले आकाश में उड़ने वाले प्राणी हैं, हम पिंजरे में बंद होकर खुशी के गीत नहीं गया पाएंगे। आप भले ही हमें सोने से बने पिंजरे में रखो, मगर उसकी सलाख़ों से टकरा कर हमारे कोमल पंख टूट जाएंगे।