1. निम्न प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
(क) 'अक्षर-दीप' जलाने से कवि का क्या आशय है?
(ख) 'रस्सी चलती पत्थर घिसता' पंक्ति के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
(ग) पंडित किस प्रकार पोथी पढ़ते हैं?
(घ) पंछी किस प्रकार नीड़ बनाते हैं?
(ङ) कवि मनुष्य को क्यों चेता रहा है?
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ख) 'रस्सी चलती पत्थर घिसता' पंक्ति के माध्यम से कवि क्या कहना चाहता है?
A) अर्थात जिस प्रकार कुंए की जगत के पत्थर पर कोमल रस्सी की बार-बार रगड़ पडऩे से वह घिसकर निशान वाला हो जाता है, उसी प्रकार निरंतर अभ्यास और परिरम करने वाला जड़ या असमर्थ व्यक्ति भी एक न एक दिन सफलता अवश्य पा लेता है। सचमुच, कवि वृंद ने बड़ी ही अनुभव सिद्ध और मार्के की बात कही है।
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