1. निम्नलिखित अपठित गद्यांशों को पढ़कर नीचे लिखे प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
मानव का अकारण ही मानव के प्रति अनुदार हो उठना न केवल मानवता के लिये लज्जाजनक है वरन् अनुचित भी है। वस्तुतः यथार्थ मनुष्य वही है जो मानवता का आदर करना जानता है, कर सकता है। केवल इसलिये कि कोई मनुष्य बुद्धिहीन है अथवा दरिद्र, वह घृणा का तो दूर रहा उपेक्षा का भी पात्र नहीं होना चाहिये। मानव तो इसलिये सम्मान के योग्य है कि वह मानव है, भगवान की सर्वश्रेष्ठ रचना है
प्रश्न:-
(i) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए । (ii) यथार्थ मनुष्य किसे कहते हैं? (iii) उपर्युक्त गद्य का साराश लिखिए ।
Answers
मानव का अकारण ही मानव के प्रति अनुदार हो उठना न केवल मानवता के लिये लज्जाजनक है वरन् अनुचित भी है। वस्तुतः यथार्थ मनुष्य वही है जो मानवता का आदर करना जानता है, कर सकता है। केवल इसलिये कि कोई मनुष्य बुद्धिहीन है अथवा दरिद्र, वह घृणा का तो दूर रहा उपेक्षा का भी पात्र नहीं होना चाहिये। मानव तो इसलिये सम्मान के योग्य है कि वह मानव है, भगवान की सर्वश्रेष्ठ रचना है।
(i) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
➲ उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक होगा...
— उदारता एक आभूषण
(ii) यथार्थ मनुष्य किसे कहते हैं?
➲ जो मनुष्य दूसरें मनुष्यों का आदर करना जानता है, वही यथार्थ मनुष्य है।
(iii) उपर्युक्त गद्य का साराश लिखिए ।
➲ मनुष्य को किसी भी के भी प्रति अनुदार नहीं होना चाहिए, यह सही आचरण नहीं है, और सब का आदर करना चाहिए। कोई मनुष्य बुद्धिहीन या दरिद्र हो तो भी उसे घृणा नहीं करनी चाहिए। सभी मनुष्य सम्मान योग्य हैं।
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