1.
निम्नलिखित अवतरण की व्याख्या कीजिए-
(क) सुनत बात मुसकाइन मोहन।
हम फोकट कहवैया नोहन।
केश जांघ कहरव हैं मोती।
कहौं बंचिहौ कोनो कोती।
कंवल बरोबर हाथ देखाथे।
छाती हंडुला सोन लजाथे।
बोड़री समुंद हवै पंडुकी गर।
कुंदरू ओठ दांत दरभी-धर।।
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ही
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हीजूझ जुंग जगी उग4y jguf
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अथवा बगरे झलक जाल हर होही नयन - कोर ला रोके । स्नेह शून्य हो ही जेहर अब अंजन होके ।। मधु सेवन बिन होही जेहर भू विलास बिसराये। ऐसे बाम नयन मृगनयनी के तैं हर सब जाये ।। फरक फरक उठ ही ऊपर अंग, शोभा माही कैसे मछली के डोला में डोलत नील कमल हो जैसे ।।
#SPJ3
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