1 निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर प्रश्नों के उत्तर दीजिए-
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भाग्य पर भरोसा न करके परिश्रम की पतवार के सहारे ही जीवन नौका में बैठकर संसार-सागर के
उस पार पहुंचा जा सकता है। जो आलसी लोग हैं वे ही भाग्य फलति सर्वत्र का नारा लगाते हैं।
को नितांत शक्तिहीन और असमर्थ मानते हैं। ऐसे व्यक्ति हीन भावना से ग्रस्त होते हैं। तथा स्वयं को
असहाय समझते हैं। उन्हें अपने बल पर भरोसा नहीं होता और वह हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते हैं।
परिश्रम को तिलांजलि देकर वे निराशापूर्ण जीवन व्यतीत करते हैं। इसके विपरीत भाग्य को ही
सफलता की कुंजी मानते हैं। विजेता नेपोलियन का कहना है भाग्य उन्ही का साथ देता है जो
सबसे अधिक कुशल, सबसे अधिक जागरुक सबसे अधिक साहसी तथा दृढनिश्चयी होते हैं। ऐसे
वीर पुरुषों के सामने हिमालय जैसे ऊँचे पर्वत भी शीश झुकाते हैं। ऐसे ही महापुरुष विषम
परिस्थितियों और बड़ी से बड़ी बाधाओं को स्वीकार करते हैं। वे नियति को तुच्छ मानते हैं।
(6) गद्यांश के लिए उपयुक्त शीर्षक है.
परिश्रम- सफलता की कुंजी
() संसार-सागर
भाग्य का भरोसा
(iv) निराशापूर्ण जीवन
(ii) सफलता प्राप्ति का साधन है-
0 भाग्य
परिश्रम
(iii) आलस्य
(iv) निराशापूर्ण जीवन
(iii) आलसी व्यक्ति किसकी अपेक्षा करते हैं?
(i) परिश्रम की
(i) भाग्य की
(ii) सफलता की
(iv) बाधाओं की
(iv) वीर पुरुष कैसे होते हैं ?
साहसी
(ii) दृढ़निश्चयी
(iii) जागरूक
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I don't know hindi sorry
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