1.
निम्नलिखित गद्यांश को पढ़कर उत्तर दीजिए-
हमलोग तीन सिद्ध जातियों से भली-भाँति परिचित है- श्रमजीवी बुदाधिजीवी और परजीवी। श्रमजीवी अपने परिश्रम से जीवन-यापन करता है, बुद्धिजीवी खुद को श्रमजीवी से श्रेष्ठ समझता है। उसका विचार है समाज को बुद्धि से दिया गया योगदान ही सर्वश्रेष्ठ है। इसके बदले में ण्वह धन-संपदा से पहले मान-सम्मान और पुरस्कार को अपेक्षा रखत है। परजीवी का कार्य-कलाप पैरासाइट कहने मात्र से स्पष्ट हो जाता है।
अर्थात दूसरों के बलबूते जीनेवाला। अब इन सबसे बढ़कर एक नई जाति पैदा हो गई है-बयानजीवी। यह जाति मात्र बयान देकर अपनी जीवन-यापन करती है। बड़े-बड़े कर्मठ और परिश्रमी लोग इस जाति से
मात खा जाते है। महान बुद्धिजीवी इस जाति के आगे पानी भरते है और परजीवी इसके कहने के तरीके के देख हाथ जोड़ते है। इस जाति का काम सुबह देर तक सोना, बिस्तर पर पड़े-पड़े टीवी देखना और
दोपहर होने के बाद खबरों की जुगाली करना होता है। अमूमन ऐसे लोग वे होते है जिनकी खुद की औकात कुछ नहीं होती, पर वे बयान किसी ऐसी हस्ती को टारगेट कर देते है कि खुद-ब-खुद लाइम लाइट में आ
जाते है। फिर एक दिन बिना कुछ किए- घरे बड़े नेता बन जाते है।
क. तीन सिद्ध जातियों के नाम लिखे ?
ख. खबरों की जुगाली करने से क्या अभिप्राय है?
ग. लेखक के अनुसार बयान जीवी कौन है ?
घ. बुद्धिजीवी, श्रमजीवी से खुद को श्रेष्ठ कैसे समझते है। ?
इ. जीवन-यापन और श्रमजीवी में कौन सा समास हैं? नाम लिखो
त्याकरण)
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क. तीन सिद्ध जातियॉं कुछ इस प्रकार हैं-
१.श्रमजीवी
२.बुद्धिजीवी
३.परजीवी
ख.खबरों की जुगाली करना मतलब खबरों पर अपनी टिप्पणी करना टाइम लाइट में आने के लिए।
ग. जो लोग खबरों की जुगाली करते हैं और यूँ ही टाइम लाइट में आ जाते हैं , उनका काम सिर्फ बयान देना होता है इसी से ये अपना जीवन यापन करते हैं
घ.बुद्धिजीवी लोग खुदको श्रमजीवी से श्रेष्ठ समझते हैं क्योंकि उनका विचार है की समाज को बुद्धि से दिया गया योगदान ही सर्व श्रेष्ठ है।
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रभजझढझबझतजबेढैणजदणझणझणझतझझभजथ
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