1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए:
हमारे चारों ओर शान से पसरी प्रकृति कितनी समृद्ध, संपन्न और भव्य है। क्या हमने अपनी व्यस्त जीवनचर्या से समय निकाल
कर, कभा इस पर गौर किया। बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद, हेमंत, शिशिर इन छह ऋतुओं की अलग-अलग छटा, अलग-अलग
मिजाज अपने में समाए प्रकृति नाना मनोहर रूपों में हमारे सामने आती है, तो हर बार हम नि:शब्द हुए उसे निहारते रह जात हा
हरमासम का अपना मिज़ाज, अपना अंदाज, अपनी खुशबू, अपना स्पर्श होता है, जो हमें तरह-तरह की भावनाओं, अनुभूतिया स
भरकर हमारे अनुभव-जगत का विस्तार करता है। बसंत, ग्रीष्म, वर्षा, शरद आदि ऋतुओं का एक के बाद एक आना आर जाना,
प्रकृति को अपने रंग में रंगना, कभी उसे फूलों से आवृत्त कर खिलखिलाहट से भर देना, कभी भीनी महक से लपेट देना, तो कभा
फूल-पत्ते उड़ाकर वैरागिन-सी उदास बना देना, कभी झर-झर पानी बरसाकर तर कर देना, कभी सर्द झोंकों से सिहरा देना...
कितने प्यारे, अनोखे व अनूठे रूप हैं। प्रकृति का सौम्य रूप, रौद्र रूप, उसकी चंचलता, उसकी जड़ता, उसकी जीवंतता आदि सब
देखने वाले की नज़र पर, उसकी संवेदनशीलता पर निर्भर होते हैं। मैंने महसूस किया है कि हर मौसम का मानव मन पर एक
मनोवैज्ञानिक असर होता है। जैसे ग्रीष्म के अलसाए दिन लंबे होने के कारण, ठंडे बंद कमरों में लेटे दिलो-दिमाग को
आत्मचिंतन का खूब समय देते हैं। मधुमास हमारी रागात्मक प्रवृत्ति को तराश देता है.... हमें तरह-तरह से रचनात्मक बनाता है।
सूरज और चंद्रमा का अस्त और उदय इस लोक को क्रमश: दु:ख और सुख की दो दशाओं में नियमित करता है। दोनों में से एक भी दशा
स्थायी नहीं है, अत: हमें न सुख में अधिक सुखी और न दुःख में अधिक दुःखी होना चाहिए, बल्कि तटस्थ भाव से जीना चाहिए।
(क) प्रकृति के रूपों का हम पर क्या प्रभाव पड़ता है?
(ख) प्रकृति के किन्हीं दो अनूठे रूपों की चर्चा कीजिए जो आपको अधिक प्रभावित करते हों।
(ग) गद्यांश में ग्रीष्म के कैसे प्रभाव से लेखक प्रभावित होता है?
(घ) मधुमास किसे कहते हैं ? उसका मन पर कैसा प्रभाव पड़ता है ?
(ङ) सूर्य और चंद्रमा से हमें क्या संदेश मिलता है?
(च) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक दीजिए।
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तंटरव (व्यावहारिक व्याकरण)
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Answers
निम्नलिखित गदयानशों के प्रशनों के उत्तर निम्नलिखित है |
Explanation:
(क) हमारी इतनी समृद्ध ,सम्पन्न, और भव्य है जो हमे एक अदभूत अहसास को दिलाती है जिससे अनुभव करके दिल खुश हो जाता है हर एक मोसम का अपना एक अंदाज होता हैं हर कोई जिसे देख कर महसूस करके अपनी अलग अनुभव और भावनाओ को प्रकट करते है हर एक मोसम की अपनी एक खास विशेस्ता होती है जो हमारे मनोविज्ञान पर गहरा असर डालता है |
(ख) (1) एक तो विभिन्न प्रकार के मोसम जो अपने आप मे एक विशेषता रखे हुए है हर एक मोसम की अपनी जो खुभी है वह हुमे एक आनंदमय अहसासस को कराती है |
(2) एक के बाद एक अलग अलग ऋतु का आना और जाना और हर ऋतु का अपना एक अलग अनुभव होना |
(ग) ग्रीष्म ऋतु के बड़े अलसाए दिन जो हमे एक ठंडे बंध कमरे मे आत्मचितन करने का समय देती है |
(घ) मधुमास बरसात के मोसम को कहते है जो हमारी रागात्मक प्रवृत्ति को तरासता है और हुमे तरह तरह से रचनात्मक बनाता है |
(ङ) सूर्य और चंद्रमा के अस्त और उदय होने से दुख और सुख की दो दशाओ को नियमित करने का पता चलता है यह बताता है जिस तरह दुख ज्यादा देर नही रहता उसी तरह सुख का प्रभाव भी ज्यादा देर तक नही रहता इसलिए हुमे सुख और दुख पर ज्यादा देर तक प्रति किर्या नहीं देनी चाहिए |
(च) उपर्युक्त गद्यांश का उपयुक्त शीर्षक प्रकृतिक का सोंदर्य होना चाहिए |