1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर दिए गए प्रश्नों के उत्तर (प्रत्येक लगभग 20-25 शब्दों में लिखिए:
आधुनिक तकनीक और वैज्ञानिक उपलब्धियों के शोर में प्राचीन और पारंपरिक जान-पद्धतियों को लगभग भुला दिया
गया है। उनमें से कुछेक की याद तब आती है, जब कोई बड़ा वैज्ञानिक तथ्य किसी लोक-परंपरा से जा जुड़ता है।
हमारे देश में अब भी अनेक स्थानों पर प्राचीन ज्ञान-परंपराएं विद्यमान हैं, जिन्हें लोक ने सहेज रखा है।
भारत में कई ऐसे गाँव हैं, जहाँ हजारों वर्षों तक जान-परंपराएँ फलती-फूलती रही हैं। आज भी उन्हें जान-परंपरा होने
की मान्यता तक प्राप्त नहीं है। लेकिन अगर आप उस समाज के अवचेतन में गहरे उतरने की क्षमता रखते हैं, तो यह
समझने में देर नहीं लगेगी कि ज्ञान-परंपराएँ मरती नहीं हैं। कालक्रम में उन पर धूल की परतें जरूर जम जाती हैं और
उनका स्थानांतरण चेतन से अवचेतन में हो जाता है। वहाँ के लोग उन ज्ञान-परंपराओं से जुड़े होते हैं। उनके दैनिक
जीवन, पर्व-त्योहार और शादी-ब्याह के विधि-विधानों, रीति-रिवाजों में उन ज्ञान-परंपराओं की उपस्थिति मिल जाएगी।
बिहार के मिथिला में ऐसे कई गाँव हैं, जहाँ न्याय और मीमांसा की परंपराएँ अब भी जीवित हैं। इनकी शास्त्रीय परंपराएँ
तो फलती-फूलती रहीं, लेकिन लौकिक परंपराओं का कोई सटीक अध्ययन नहीं हुआ। फिर भी लौकिक परंपराओं
के अध्ययन से लगता है कि यह पूरी जीवन प्रणाली थी। मिथिला क्षेत्र के कई गांवों में न्याय और मीमांसा के बड़े
हैं। शायद उनका होना ही इस बात का प्रमाण है कि इन गाँवों के अवचेतन में इस परंपराओं का वास होगा।
ज्ञान-परंपरा से जुड़ी एक ऐसी ही जगह है पटना के पास खगोल शहर के निकट का एक गाँव तारेगना। पाँचवीं शताब्दी
में इस जगह का नाम कुसुमपुर से खगौल उस समय हो गया जब आर्यभट्ट ने इसे अपना कार्यक्षेत्र बनाया। जिस गाँव
में रहकर आर्यभट्ट नै आकाश में ग्रह-नक्षत्र और तारों की स्थिति का अध्ययन किया था, उसका नाम टागना पड़ गया।
एकाएक जुलाई, 2009 में तारंगना के बारे में दुनिया को तब पता चला, जब नासा ने घोषणा की कि इस जगह से
ठस बार के पूर्ण सूर्यग्रहण को देखना संभव हो पाएगा। खास बात है कि आज भी खगौल में आर्यभट्ट का जन्मदिन
मनाने की परंपरा है और उनसे जुड़ी अनेक कहानियाँ हैं।
(क) आप कैसे कह सकते हैं कि जनमानस आज भी ज्ञान-परंपराओं से है।
(2)
(ख) 'न्याय और मीमांसा की परंपराएँ अब भी जीवित है - इस तथ्य की पुष्टि के लिए लेखक ने क्या तर्क दिर
हैं?
(2)
गे पूरी दुनिया में तारेना की पहचान क्यों और कैसे बनी है लोग द्वारा सेट कर रखी गई पारंपरिक ज्ञान प्रतियों की ओर ध्यान आकर्षित होता है उपयुक्त गद्यांश के लिए उपयुक्त लिखें
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So long and time taking how to do it.
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- 1. aadhunik taknik Aur vaigyanik uplabdhiyon Ke Shor Mein Prachin aur paramparik Gyan panktiyon Ko lagbhag Bhula Diya Gaya Hai unmen se Kuchh Ek Laat Baki Hai Jab Koi Bada vaigyanik tathya ki Silo Parampara Se Juda jata hai
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