Hindi, asked by poshika0503, 4 months ago

1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए
विद्यार्थी जीवन ही वह समय है, जिसमें बच्चों के चरित्र, व्यवहार तथा आचरण को जैसा चाहे वैसा रूप दिया
जा सकता है। यह अवस्था भावी वृक्ष की उस कोमल शाखा की भाँति है, जिसे जिधर चाहे मोड़ा जा सकता है।
पूर्णतः विकसित वृक्ष की शाखाओं को मोड़ना संभव नहीं। उन्हें मोड़ने का प्रयास करने पर वे टूट तो सकती है।
पर मुड़ नहीं सकती। छात्रावस्था उस श्वेत चादर की तरह होती है, जिसमें जैसा प्रभाव डालना हो, डाला जा
सकता है।
सफ़ेद चादर पर एक बार जो रंग चढ़ गया, सो चढ़ गया, फिर से वह पूर्वावस्था को प्राप्त नहीं हो सकती।
इसलिए प्राचीनकाल से ही विद्यार्थी जीवन के महत्त्व को स्वीकार किया गया है। इसी अवस्था में सुसंस्कार और
सवृत्तियाँ पोषित की जा सकती हैं। इसलिए प्राचीन समय में बालक को घर से दूर गुरुकुल मे रहकर कठोर
अनुशासन का पालन करना होता था। विद्यार्थी जीवन में ही व्यक्ति का चरित्र निर्मित होता है। अच्छे चरित्र के
निर्माण से उसम सदगुणों; जैसे-दया, आदर, सदाचार आदि का विकास होता है।
(क) छात्रावस्था की तुलना विकसित पेड़ की शाखा से क्यों नहीं करनी चाहिए? गद्यांश के आधार पर स्पष्ट कीजिए।
(ख) छात्रावस्था श्वेत चादर के समान क्यों है? स्पष्ट कीजिए।
(ग) छात्रों को गुरुकुल में क्यों छोड़ा जाता है?
(घ) गद्यांश के आधार पर विद्यार्थी जीवन की उपयोगिता को सिद्ध कीजिए।
(ङ) विद्यार्थी जीवन का महत्त्व क्या है?
(च) प्रस्तुत गद्यांश का सर्वाधिक उपयुक्त शीर्षक लिखिए।

Answers

Answered by ashoklanje16
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Answer:

क = क्युकी विकसित पेड़ को मोड़ना संभव नहीं वो तुट जाता है

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