Hindi, asked by shreyaskj9, 19 days ago

1. नि म्नलि खि त गद्यांश को ध्यानपर्वूकर्व पढ़ि ए और पछू ेगए प्रश्नों के उत्तर लि खि ए:-
आलस्य जीवन को अभि शापमय बना देता है। आलसी व्यक्ति परावलबं ी होता है। वह कभी पराधीनता सेमक्ुत
नहीं हो सकता। हमारा देश सदि यों तक पराधीन रहा। इसका आधारभतू कारण भारतीय जीवन मेंव्याप्त
आलस्य एवं हीन भावना थी। जसै ेहमनेपरि श्रम के महत्त्व को समझा, वसै ेही हमारी हीनता दरू होती गई और
हममेंआत्मवि श्वास बढ़ता गया, जि सका परि णाम यह हुआ कि हमनेएक दि न पराधीनता की केंचलु ी उतारकर
फेंक दी। परि श्रम ही छोटे-सेबड़ेबननेका साधन है।
यदि छात्र परि श्रम न करेतो परीक्षा मेंकैसेसफल होंगे। मजदरू भी मेहनत का पसीना बहाकर सड़कों, भवनों,
बाँधों, मशीनों तथा ससं ार के लि ए उपयोगी वस्तओु ंका नि र्मा ण करतेहैं। मर्तिूर्तिकर्ति ार, चि त्रकार, कवि , लेखक सब
परि श्रम द्वारा ही अपनी रचनाओंसेससं ार को लाभ पहुँचातेहैं। कालि दास, तलु सीदास, शक्े सपि यर, टैगोर
आदि परि श्रम के बल पर ही अपनी रचनाओंके रूप मेंअजर-अमर हैं।
(1) आलस्य जीवन को कि स तरह अभि शापमय बना देता है?
(2) जीवन मेंपरि श्रम का क्या महत्त्व है? उदाहरण सहि त समझाइए।
(3) धरती और जीवन को सदंुर बनानेमेंपरि श्रम का योगदान स्पष्ट कीजि ए।
(4) पराधीनता मेंप्रयक्ुत उपसर्ग , मलू शब्द एवंप्रत्यय लि खि ए।
(5) उपर्युक्र्युत गद्यांश का उचि त नाम लि खो।

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Answered by dc4690058
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Answer:

I am not able to understand what you have written please write properly.

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