1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यापनूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिख
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वर्तमान समाज में नैतिक मूल्यों का विघटन चहूँ और दिखाई दे रहा है।
विलास और भौतिकता के मद में प्रांत लोग बेतहाश धनोपार्जन की अंधी दौड़ में
शामिल हो गए है| आज का मानव स्वार्थपरता में इस तरह आकंठ डूब चुका है
कि उसे उचित-अनुचित नीति-अनीति का भान नहीं हो रहा है। व्यक्ति विशेष
की निजी स्वार्थ पूर्ति से समाज का कितना अहित हो रहा है इसका शायद किसी
को आभास नहीं हैं आज के अभिभावक भी धनोपार्जन एवं भौतिकता के साधन
जुटाने में इतने लीन है, कि उनके वात्सल्य का स्त्रोत ही उनके लाडलों के लिए
सूख गया है। उनकी इस उदासीनता ने मासूम दिलों को गहरे तक चीर दिया है।
आज का बालक अपने एकाकीपन की भरपाई या तो घर में दूरदर्शन केबल से
प्रसारित अश्लील फूहड़ कार्यक्रमों से करता है अथवा कुसंगति में पड़कर जीवन
का नाश करता हैं समाज के इस संक्रांति काल में छात्र किन जीवन मूल्यों को
सीख पाएगा यह कहना नितान्त कठिन है।
(क) उपर्युक्त गद्यांश का शीर्षक लिखिए।
(ख) वर्तमान समाज में नैतिक मूल्यों की क्या स्थिति है?
(ग) मनुष्य की स्वार्थपरता का क्या प्रभाव समाज पर पड़ता है?
(घ) अभिभावकों द्वारा बच्चों के लिए समय न निकाल पाने का उन पर क्या
दुष्प्रभाव पड़ रहा है?
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Answer:
- वर्तमान ।
- वर्तमान समाज में नैतिक मूल्यौं का विघटन चहुँ और दिखाई दे रहा हैं।
- मनुष्य को उचित अनुचित भी दिखाई नहीं दे रहा हैं।
- कुसंगति में पड़कर जीवन का नाश करता हैं।
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