1. निम्नलिखित काव्यांश (पद्यांश) को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
हरे-हरे ये पात,
डालियाँ, कलियाँ, कोमल गात।
मैं ही अपना स्वप्न-मृदुल कर
फेरूँगा निद्रित कलियों पर
जगा एक प्रत्यूष मनोहर।
पुष्प पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं,
अपने नव जीवन का अमृत सहर्ष सींच दूंगा मैं,
(क) 'पुष्प-पुष्प से तंद्रालस लालसा खींच लूँगा मैं' पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।
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इन पंक्तियों में कवि पुष्पों यानि नवयुवको के अंदर के आलस्य को दूर करके उन्हें अपने जीवन रूपी अमृत से सींचना चाहता है ताकि वे अनंतकाल तक खिलकर अपना सौंदर्य बिखेरते रहें। ... वह प्रत्येक पुष्प अर्थात हर नवयुवक से उसका आलस्य छीन लेना चाहता है। उसे उत्साहित करना चाहता है।
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