Sociology, asked by nehat0759, 1 month ago

1. निम्नलिखित में से किन्हीं पाँच पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ
लिखिए :
"
(a) ऊर्जा संसाधन
(b) अम्ल वर्षा
(c) जल प्रदूषण​

Answers

Answered by Beautylove
1

Answer:

ऊर्जा संसाधन

उर्जा आर्थिक विकास और जीवन स्तर बेहतर बनाने के लिए एक आवश्यक साधन है। समाज में ऊर्जा की बढ़ती हुई जरूरतों को उचित लागत पर पूरा करने के लिए ऊर्जा के पारंपरिक साधनों के विकास की जिम्मेदारी सरकार की हैं। देश में ऊर्जा सुलभता की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए परमाणु ऊर्जा के विकास को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है

सूर्य, पृथ्वी पर ऊर्जा का आधारभूत स्रोत है। कोयला, पेट्रोलियम, एवं प्राकृतिक गैस जीवाश्म ईंधन हैं, और अनवीकरणीय संसाधन भी हैं। सूर्य की रोशनी, पवन, जल, बायोमास, भूतापीय ऊष्मा ही कुछ ऊर्जा के नवीकरणीय संसाधन हैं। इनमें से जीवाश्म ईंधन, पानी और परमाणु उर्जा परम्परागत संसाधन हैं जबकि सौर, जैव, पवन,, समुद्री, हाइड्रोजन एवं भूतापीय उर्जा अपरम्परागत या वैकल्पिक ऊर्जा संसाधन हैं। अन्य स्तर पर हमारे पास वाणिज्यिक ऊर्जा स्रोत जैसे कोयला, पेट्रोलियम, विद्युत् हैं तथा लकड़ी ईंधन, गाय का गबर तथा कृषि अपशिष्ट जैसे गैर-वाणिज्यिक संसाधन भी हैं ।

अम्ल वर्षा

अम्लीय वर्षा, यह प्राकॄतिक रूप से ही अम्लीय होती है। इसका कारण यह है कि CO2 (कार्बन डाय ऑक्साईड) जो पॄथ्वी के वायुमंडल में प्राकृतिक रूप में विद्यमान है जो जल के साथ क्रिया करके कार्बोनिक एसिड बनाता है।

अम्लवर्षा में अम्ल दो प्रकार के वायु प्रदूषणों से आते हैं। So2 & Nox , ये प्रदूषक प्रारंभिक रुप से कारखानों की चिमनियों, बसों व स्वचालित वाहनों के जलाने से उत्सर्जित होकर वायुमंडल में मिल जाते है।

अम्लवर्षा के दुष्परिणाम

अम्लवर्षा के कारण जलीय प्राणियों की मृत्यृ खेंतो और पेड़-पौधों की वृद्धि में गिरावट, तांबा और सीसा जैसे घातक तत्वों का पानी में मिल जाना, ये सभी दुष्परिणाम देखे जा सकते है। जर्मनी व पश्चिम यूरोप में जंगलो का नष्ट होने का कारण अम्लवर्षा है।

समस्या का समाधान

इस समस्या का समाधान एक ही प्रकार से संभव है। इसके लिये घातक वायु और पदार्थ के स्त्रोत जहाँ से ये प्रदूषक उत्पन्न हो रहे है, उनकों वहीं पर नियंत्रित करना, और वे सभी व्यक्ति और संस्थाएं जो इस विषय पर कार्यरत है उन्हें सारी जानकरी देना।

जल प्रदूषण

जब झीलों, नहरों, नदियों, समुद्र तथा अन्य जल निकायों में विषैले पदार्थ प्रवेश करते हैं और यह इनमें घुल जाते है अथवा पानी में पड़े रहते हैं या नीचे इकट्ठे हो जाते हैं । जिसके परिणामस्वरूप जल प्रदूषित हो जाता है और इससे जल की गुणवत्ता में कमी आ जाती है तथा जलीय पारिस्थितिकी प्रणाली प्रभावित होती है । प्रदूषकों का भूमि में रिसन भी हो सकता है जिससे कारण भूमि-जल भी प्रभावित होता है ।

जल प्रदूषण के प्रभाव

जल प्रदूषण से व्यक्ति ही नहीं अपितु पशु-पक्षी एवं मछली भी प्रभावित होते हैं । प्रदूषित जल पीने, पुनःसृजन कृषि तथा उद्योगों आदि के लिए भी उपयुक्त नहीं हैं । यह झीलों एवं नदियों की सुन्दरता को कम करता है । संदूषित जल, जलीय जीवन को समाप्त करता है तथा इसकी प्रजनन - शक्ति को क्षीण करता है

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