1. निम्नलिखित में से किसी एक गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उचित विकल्पों का चयन कीजिए .मेरी अपनी कविताओं को आधार में रखकर कलाकारों ने चित्र , कोलाज और रेखाचित्र बनाए हैं । उनकी प्रदर्शनी भी हुई है और दूरदर्शन पर भी उन्हें दिखाया गया है । प्रश्न भी पूछे गए कि क्यों कविताओं को आधार बनाया गया । प्रश्नों का सबसे सहज और उचित उत्तर यही था क्योंकि ये कविताएँ अच्छी लगी और अन्य कला - माध्यम के लिए प्रेरक भी । अतः परिणाम के रूप में इस दिशा में संभव हुआ कार्य भले ही , कभी - कभी योजनाबद्ध भी प्रतीत होता हो लेकिन मूलरूप में वह किसी योजना के तहत हो ही नहीं सकता । एक अन्य अनुभव सुनाता हूँ । एक रात मैंने किसी कुशल नर्तकी का नृत्य देखा । देखते ही मेरे मन में एक सहज प्रेरणा जागी । मैंने एक कविता रच डाली । उस कविता को मैंने ही नहीं , मेरे पाठकों ने भी बहुत पसंद किया । एक दूसरा अनुभव भी है । मैंने एक पेंटिंग - प्रदर्शनी देखी और चाहा कि एक पसंद की पेंटिंग के आधार पर कविता लिखू । मैं सिर पीट कर रह गया । अपने पर काफ़ी जोर - जबरदस्ती करने के बावजूद अच्छी तो क्या औसत कविता भी नहीं लिख सका । लेकिन हाल ही में एक चित्र - प्रदर्शनी देखते हुए इतना प्रेरित हुआ कि एक कविता लिखी गई । इससे यही निष्कर्ष निकलता है कि इस दिशा में वही प्रयोग सफल होते हैं जिनके मूल में उन्हें करने की सहज , आंतरिक या आत्मिक प्रेरणा मौजूद रहती है । असल में , किसी भी कला - माध्यम को अपनाने वाले रचनाकार या कलाकार के सामने अपनी रचना - विधा या कला - रूप से संबद्ध मॉडल तो जरूर होते हैं । वह उनकी जानकारी रखता है और चाहता भी है । सृजन - क्रिया के प्रारंभ में विदित मॉडल अपना शिकंजा खो बैठते हैं और सर्जक स्वतः ही स्वतंत्र हो जाया करता है । इसी कारण उसकी रचना मोटे रूप से और रचनाओं के समान प्रतीत होते हुए भी मौलिक और अद्वितीय हो जाती है । जितने ही ये गुण अधिक होंगे उतनी ही रचना अच्छी और सफल मानी जाएगी । पिछले दिनों अपनी पाँच उँगलियों की बात ' कहानी लिखते समय मुझे एक और अनुभव हुआ । कृति की मूल प्रेरणा बोध - कथा लिखने की ही हुई । लेकिन लिखे जाने के बाद एक अवसर आया जबकि मैंने वह कहानी कुछ अपरिचित बंधुओं को सुनाई । उन्हें वह कहानी इतनी पसंद आई कि मुझे उसमें मुक्त छंद की कविता के कुछ सूत्र उभरते नजर आए । मैंने उसे कसना शुरू किया । मैं हैरान तब हुआ , जबकि वह कविता श्रोताओं के चित्त में बसने लगी और कहानी अपने स्थान पर है । यह एक प्रकार से पहले से लिखित रचना में हस्तक्षेप हुआ । तब से मुझे बोध हुआ कि वह हस्तक्षेप सहज प्रेरणा के रूप में हुआ , रचना सफल हो पाई । यदि यह प्रयत्न अनुवाद जैसा यांत्रिक और सायास होता तो रचना प्राणवान न होती ।
( i ) रेखाचित्र से आप क्या समझते हैं ? ( क ) एक रेखीय चित्र
( ख ) वस्तु , व्यक्ति का सचित्र वर्णन
( ग ) संक्षिप्त गद्य - रचना
( घ ) ( ख ) और ( ग ) दोनों तभी
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