Hindi, asked by Deo555, 10 months ago

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर लिखिए-
(क) वर्ण से आप क्या समझते हैं?
(ख) स्वर और व्यंजन में क्या अंतर है?
(ग) संयुक्ताक्षर से क्या तात्पर्य है?
(घ) अनुस्वार और अनुनासिक में अंतर स्पष्ट कीजिए।
(ङ) द्वित्व व्यंजन किसे कहते हैं? उदाहरण देकर बताइए। ​

Answers

Answered by ujjwal3225n
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Answer:

1). भाषा की सबसे छोटी इकाई वर्ण/ध्वनि होती हैं जबकि भाषा की सबसे छोटी सार्थक इकाई वाक्य मानी जाती हैं।

स्वर उन्हें कहते हैं जिनमे वर्णों का उच्चारण स्वतंत्रा के साथ हो और व्यंजन के उच्चारण में सहायक की भूमिका निभाएं वही स्वर कहलाते हैं. स्वर के उच्चारण के समय वायु किसी भी वाधा के बिना मुँह से बाहर निकलती है और जीभ उच्चारण के समय कहीं भी स्पर्श नहीं करती है.

2). स्वर को अंगेजी में vowels कहते हैं जो की केवल 5 माने गए हैं. जैसे की:

a, e, i, o, u

Explanation:

जब वर्णों के उच्चारण के लिए स्वर की आवश्यकता होती है उन्हें व्यंजन कहते हैं. सीधा सीधा कहें तो स्वरों के बिना व्यजंन का उच्चारण नहीं किया जा सकता है. व्यंजन को अंग्रेजी में consonants कहते हैं. जो की संख्या में 21 होते हैं. Vowels को छोड़ के सभी अक्षर consonants कहलाते हैं.

ये संख्या में 33 होते हैं.

Answered by vishal5323
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वर्णों के समुदाय को ही वर्णमाला कहते हैं। हिन्दी वर्णमाला में 44 वर्ण हैं। उच्चारण और प्रयोग के आधार पर हिन्दी वर्णमाला के दो भेद किए गए हैं:

(क) स्वर

(ख) व्यंजन

उच्चारण के समय की दृष्टि से स्वर के तीन भेद किए गए हैं:

ह्रस्व स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में कम-से-कम समय लगता हैं उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं। ये चार हैं- अ, इ, उ, ऋ। इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं।

दीर्घ स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से दुगुना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं। आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ दीर्घ स्वर के उदाहरण है।

संयुक्त स्वर - दो भिन्न प्रकृति (विजातीय स्वरों) के मिलने से जो स्वर बनते है, उन्हें संयुक्त स्वर कहते है।

प्लुत स्वर - जिन स्वरों के उच्चारण में दीर्घ स्वरों से भी अधिक समय लगता है उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। प्रायः इनका प्रयोग दूर से बुलाने में किया जाता है।

मात्राएँ

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स्वरों के बदले हुए स्वरूप को मात्रा कहते हैं स्वरों की मात्राएँ निम्नलिखित हैं:

स्वर मात्राएँ शब्द

अ × कम

आ ा काम

इ ि किसलय

ई ी खीर

उ ु गुलाब

ऊ ू भूल

ऋ ृ तृण

ए े केश

ऐ ै है

ओ ो चोर

औ ौ चौखट

अ वर्ण (स्वर) की कोई मात्रा नहीं होती। व्यंजनों का अपना स्वरूप निम्नलिखित हैं:

क् च् छ् ज् झ् त् थ् ध् आदि।

अ लगने पर व्यंजनों के नीचे का (हल) चिह्न हट जाता है। तब ये इस प्रकार लिखे जाते हैं:

क च छ ज झ त थ ध आदि।

व्यंजन

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जिन वर्णों के पूर्ण उच्चारण के लिए स्वरों की सहायता ली जाती है वे व्यंजन कहलाते हैं। अर्थात् व्यंजन बिना स्वरों की सहायता के बोले ही नहीं जा सकते। ये संख्या में 34 हैं। इसके निम्नलिखित तीन भेद हैं:

स्पर्श

अंतःस्थ

ऊष्म

स्पर्श

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इन्हें पाँच वर्गों में रखा गया है और हर वर्ग में पाँच-पाँच व्यंजन हैं। हर वर्ग का नाम पहले वर्ग के अनुसार रखा गया है जैसे:

कवर्ग- क् ख् ग् घ् ङ्

चवर्ग- च् छ् ज् झ् ञ्

टवर्ग- ट् ठ् ड् ढ् ण् (ड़् ढ़्)

तवर्ग- त् थ् द् ध् न्

पवर्ग- प् फ् ब् भ् म्

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अंतःस्थ

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ये निम्नलिखित चार हैं: य् र् ल् व्

ऊष्म

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ये निम्नलिखित चार हैं- श् ष् स् ह्

सयुंक्त व्यंजन

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वैसे तो जहाँ भी दो अथवा दो से अधिक व्यंजन मिल जाते हैं वे संयुक्त व्यंजन कहलाते हैं, किन्तु देवनागरी लिपि में संयोग के बाद रूप-परिवर्तन हो जाने के कारण इन तीन को गिनाया गया है। ये दो-दो व्यंजनों से मिलकर बने हैं। जैसे-क्ष=क्+ष अक्षर, ज्ञ=ज्+ञ ज्ञान, त्र=त्+र नक्षत्र कुछ लोग क्ष् त्र् और ज्ञ को भी हिन्दी वर्णमाला में गिनते हैं, पर ये संयुक्त व्यंजन हैं। अतः इन्हें वर्णमाला में गिनना उचित प्रतीत नहीं होता।

अनुस्वार

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इसका प्रयोग पंचम वर्ण के स्थान पर होता है। इसका चिन्ह (ं) है। जैसे- सम्भव=संभव, सञ्जय=संजय, गङ्गा =गंगा।

विसर्ग

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इसका उच्चारण ह् के समान होता है। इसका चिह्न (ः) है। जैसे-अतः, प्रातः।

चंद्रबिंदु

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जब किसी स्वर का उच्चारण नासिका और मुख दोनों से किया जाता है तब उसके ऊपर चंद्रबिंदु (ँ) लगा दिया जाता है। यह अनुनासिक कहलाता है। जैसे-हँसना, आँख। हिन्दी वर्णमाला में ११ स्वर तथा ३३ व्यंजन गिनाए जाते हैं, परन्तु इनमें गृहित वर्ण(चार) ड़्, ढ़् अं तथा अः जोड़ने पर हिन्दी के वर्णों की कुल संख्या ४८ हो जाती है।

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