Hindi, asked by sourabhkini2011, 3 months ago

1. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए। (क) शब्द किसे कहते हैं? (ख) शब्द के कितने भेद होते हैं? उदाहरण देकर समझाइए। (ग) वाक्य की परिभाषा लिखिए। (घ) वाक्य के कितने अंग होते हैं? उदाहरण सहित लिखिए।​

Answers

Answered by Janhavi491
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Answer:

(क) शब्द दो या दो से अधिक वर्णों की मदद से बानी हुई स्वतंत्र सार्थक ध्वनि को कहते हैं।

(ख) परिभाषा की दृष्टि से शब्द के अलग अलग प्रकार होते हैं जिनको शब्दों के भेद कहा जाता है। शब्द के कुछ प्रकार हैं जिनकी दृष्टि से शब्द के भेद बताये गए हैं।

अ. व्युत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद

1. रूढ़- जो शब्द किन्हीं अन्य शब्दों के योग से न बने हों और किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हों तथा जिनके टुकड़ों का कोई अर्थ नहीं होता, वे रूढ़ कहलाते हैं।

2.यौगिक- जो शब्द कई सार्थक शब्दों के मेल से बने हों, वे यौगिक कहलाते हैं।

3.योगरूढ़- वे शब्द, जो यौगिक तो हैं, किन्तु सामान्य अर्थ को न प्रकट कर किसी विशेष अर्थ को प्रकट करते हैं, योगरूढ़ कहलाते हैं।

ब . उत्पत्ति के आधार पर शब्द-भेद

1 . तत्सम - संस्कृत भाषा से आए शब्द जिनका प्रयोग बिना किसी परिवर्तन के आज भी हिन्दी भाषा में हो रहा है तत्सम शब्द कहलाते हैं। जैसे-अग्नि, क्षेत्र, वायु, ऊपर, रात्रि, सूर्य आदि।

2.तद्भव - जो शब्द रूप बदलने के बाद संस्कृत से हिन्दी में आए हैं वे तद्भव कहलाते हैं। जैसे-आग (अग्नि), खेत (क्षेत्र), रात (रात्रि), सूरज (सूर्य)नृप ,(राजा)आदि।

3.देशज - जो शब्द क्षेत्रीय प्रभाव के कारण परिस्थिति व आवश्यकतानुसार बनकर प्रचलित हो गए हैं वे देशज कहलाते हैं। जैसे-पगड़ी, गाड़ी, थैला, पेट, खटखटाना पगड़ी, मनई, मेहरारू आदि।

4.विदेशज- विदेशी जातियों के संपर्क से उनकी भाषा के बहुत से शब्द हिन्दी में प्रयुक्त होने लगे हैं। ऐसे शब्द विदेशी अथवा विदेशज कहलाते हैं। जैसे-स्कूल, अनार, आम, कैंची, अचार, पुलिस, टेलीफोन, रिक्शा आदि। ऐसे कुछ विदेशी शब्दों की सूची नीचे दी जा रही है।

1. विकारी शब्द : जिन शब्दों का रूप-परिवर्तन होता रहता है वे विकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-कुत्ता, कुत्ते, कुत्तों, मैं मुझे, हमें अच्छा, अच्छे खाता है, खाती है, खाते हैं। इनमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विकारी शब्द हैं।

2. अविकारी शब्द : जिन शब्दों के रूप में कभी कोई परिवर्तन नहीं होता है वे अविकारी शब्द कहलाते हैं। जैसे-यहाँ, किन्तु, नित्य और, हे अरे आदि। इनमें क्रिया-विशेषण, संबंधबोधक, समुच्चयबोधक और विस्मयादिबोधक आदि हैं।

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