1. निम्नलिखित पद्यांशों का भाव स्पष्ट
करो
"है खटकता एक सबकी आँख में,
दूसरा है सोहता सुर-सीस पर।
किस तरह कुल की बड़ाई काम दे,
जो किसी में हो बड़प्पन की कसर।"
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यह पद्यांश कविता फूल और कांटे से लिया गया है. इस पद्यांश में कवि फूल और कांटे के बीच का अंतर बताना चाह रहा है उसने लिखा है कि एक और कांटे सबकी आंख में खटक ते हैं अर्थात कांटे किसी को नहीं सुहाग है और दूसरी तरफ फूलों की ओर लोग खींचे चले आते हैं
फूल और कांटे दोनों ही एक ही पौधे पर उगते हैं पर फूल लोगों को बहुत अच्छे लगते हैं और कांटे बहुत खराब और इसीलिए कुल कांटो के काम नहीं आता है अर्थात हमारा स्वभाव लोगों को हमारे कुल से नहीं बल्कि हमारे कर्मों से पसंद आता है.
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this is good question
new
but cannot copy answer
sorry
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