1. निम्नलिखित पद्यांश का संदर्भ , प्रसंग सहित लिखिए
पग घुघुरू बांधि मीरा नाची,
मै तो मेरे नारायण सूं , आपहि हो गई साची
लोग कहै, मीरा भई बाबरी, न्यात कहै कुल -नासी
विस का प्याला राणा भेज्या , पीवत मीरा हाँसी
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सहज मिले अविनासी।
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Explanation:
पग घुघुरू बांधि मीरा नाची,
मै तो मेरे नारायण सूं , आपहि हो गई साची
लोग कहै, मीरा भई बाबरी, न्यात कहै कुल -नासी
विस का प्याला राणा भेज्या , पीवत मीरा हाँसी
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सहज मिले अविनासी।
निम्नलिखित पद्यांश का संदर्भ, प्रसंग सहित लिखिए
पग घुघुरू बांधि मीरा नाची,
मै तो मेरे नारायण सूं, आपहि हो गई साची
लोग कहै, मीरा भई बाबरी, न्यात कहै कुल -नासी
विस का प्याला राणा भेज्या, पीवत मीरा हाँसी
मीरा के प्रभु गिरधर नागर, सहज मिले अविनासी।
संदर्भ : यह पंक्तियां मीराबाई के द्वारा रचित पंक्तियां हैंय़ इन पंक्तियों में मीराबाई लोगों के तानों की परवाह ना करते हुए श्रीकृष्ण के प्रति अपने प्रेम को प्रकट करती हैं और उनकी मूर्ति के सम्मुख नाचती हैं।
भावार्थ : मीराबाई अपने पैरों में घुंघरू बांध का अपने प्रियतम श्रीकृष्ण के सामने नाच रही हैं। वह अपने नारायण यानी श्रीकृष्ण से कह रही हैं कि वह बिना किसी प्रयास के ही सच्ची हो गई हैं अर्थात उनमें पवित्रता समा गई है। लोग उनसे कह रहे हैं कि मीरा तू तो पागल हो गई है। उनके परिवार के लोग कहते हैं कि मीरा ने कुटुंब को बदनाम कर दिया। मगर मुझे उन सब की बातों की कोई परवाह नहीं है। मुझे अपने श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम पर अटल विश्वास है। भले ही मुझे मारने के लिए मेरे देवर जी ने विष का प्याला भिजवाया लेकिन मैं उसे हंसकर पी गई। मेरे श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम ने उस विष को भी अमृत बना दिया था और मैं उसको पी कर अमर हो गई। मुझे तो बिना किसी प्रयास के ही श्रीकृष्ण की प्राप्ति हो गई।