1. निम्नलिखित पद्यांश का संदर्भ, प्रसंग सहित भावार्थ लिखिए
युग -युग का पौराणिक स्वप्न
हुआ मानव का संभव,
शुभ समारंभ नए चंद्र - युग का
भू को दे गौरव!
फहराए ग्रह -उपग्रह में
धरती का श्यामल अंचल,
सुख -संपद-संपन्न जगती में
बरसे जीवन --मंगल!
Answers
Answer:
प्रसंग- इन पंक्तियों में कवि ने मानव के चन्द्रमा पर पहुँचने की ऐतिहासिक घटना के महत्त्व को। व्यक्त किया है। यहाँ कवि ने उन सम्भावनाओं का भी वर्णन किया है, जो मानव के चन्द्रमा पर पैर रखने से साकार होती प्रतीत हो रही हैं।
व्याख्या-कवि कहता है कि जब चन्द्रमा पर प्रथम बार मानव ने अपने कदम रखे तो ऐसा करके उसने देश-काल के उन सारे बन्धनों, जिन पर विजय पाना कठिन माना जाता था, छिन्न-भिन्न कर दिया। मनुष्य को यह आशा बँध गयी कि इस ब्रह्माण्ड में कोई भी देश और ग्रह-नक्षत्र अब दूर नहीं हैं। यह निश्चय ही मनु के पुत्रों (मनुष्यों) की दिग्विजय है। यह ऐसा महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक क्षण है कि अब सभी देशों के निवासी मानवों को परस्पर विरोध समाप्त करके एक-दूसरे के निकट आना चाहिए और प्रेम से रहना चाहिए। यह सम्पूर्ण विश्व ही अब एक देश में परिवर्तित हो गया है। सभी देशों के मनुष्य अब एक-दूसरे के। निकट आएँ, यही कवि की आकांक्षा है।
मनुष्य का युगों-युगों से चन्द्रमा के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध रहा है। चन्द्र-विजय से युगों-युगों का पौराणिक स्वप्न अब सम्भव हो गया है। चन्द्रमा के सम्बन्ध में की जाने वाली मानव की मनोरम कल्पनाएँ अब साकार हो उठी हैं। पृथ्वीवासियों को गौरवान्वित करके अब नये चन्द्र युग का कल्याणकारी आरम्भ हुआ है।
फहराए ग्रह-उपग्रह में
धरती का श्यामल-अंचल,
सुख संपद् संपन्न जगत् में
बरसे जीवन-मंगल।
अमरीका सोवियत बने ।
नव दिक् रचना के वाहन
जीवन पद्धतियों के भेद ।
समन्वित हों, विस्तृत मन।
व्याख्या- कवि का कथन है कि मैं अब यह चाहता हूँ कि ब्रह्माण्ड के ग्रहों-उपग्रहों में इस पृथ्वी का श्यामलं अंचल फहराने लगे। तात्पर्य यह है कि मनुष्य अन्य ग्रहों पर भी पहुँचकर वहाँ पृथ्वी जैसी हरियाली और जीवन का संचार कर दे। सुख और वैभव से युक्त इस संसार में मानव-जीवन के कल्याण की वर्षा हो; अर्थात् सम्पूर्ण संसार में कहीं भी दु:ख और दैन्य दिखाई न पड़े।
अमेरिका और सोवियत रूस नयी दिशाओं की रचना करें, क्योंकि अन्तरिक्ष विज्ञान में यही देश सर्वाधिक प्रगति पर हैं। कवि का कहना है कि विश्व में प्रत्येक देश की संस्कृति और सभ्यता भिन्न-भिन्न है। तथा अलग-अलग जीवन-पद्धतियाँ हैं। इनकी भिन्नता समाप्त होनी चाहिए। तात्पर्य यह है कि सभी जीवन-पद्धतियाँ आपस में मिलकर एक हो जाएँ और मन की संकुचित भावना का अन्त कर लोग उदारचेता बने तथा विश्व-मानव में ‘वसुधैव कुटुम्बकम्’ की भावना का विकास हो।
काव्यगत सौन्दर्य-
कवि चारों ओर कल्याणमय जीवन के प्रसार की कामना करता है।
भाषा-साहित्यिक खड़ी बोली
शैली–प्रतीकात्मक।
रस-वीर।
छन्द-तुकान्तमुक्त।
गुण-ओज।
Explanation:
hope it will help you....