Hindi, asked by ankitachoudhary24, 9 months ago

1. 'नेता जी का चश्मा' पाठ का उददेश्य अथवा संदेश स्पष्ट काजिए।

2. लेखक ने कस्बे का वर्णन किस प्रकार किया है ?
3. लोगों को नेता जी की मूर्ति को देखकर क्या याद आने लगता था ?

4. नेताजी का चश्मा हर बार कैसे बदल जाता था?

5. हालदार साहब चश्मे वाले की देशभक्ति के प्रति क्यों नतमस्तक थे ?

6. कैप्टन चश्मे वाले का व्यक्तित्व हालदार साहब की सोच से किस प्रकार अलग था ?

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from 10 class kshitij book...
lesson name is netaji ka chashma​

Answers

Answered by ishita1718
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१)नेताजी का चश्मा पाठ का यह उद्देश्य एवं संदेश है कि हर जाति एवं वर्ग के छोटे से छोटे बच्चे एवं बुजुर्ग व्यक्ति तक सभी को अपने सामर्थ्य के अनुसार अपने देश के विकास के लिए आगे बढ़ना चाहिए। हम सबको देश प्रेम की भावना से ओतप्रोत होना चाहिए क्योंकि यह देश हम सबका है। क्रांतिकारियों के लिए हमारे मन में सम्मान की भावना भी होनी चाहिए।

२)लेखक ने कस्बे का वर्णन इस प्रकार किया है कि कस्बा ज्यादा बढ़ाना था। उसमें कुछ ही मकान पक्के थे फिर और एक एक बालक एवं बालिकाओं का विद्यालय था। दो ओपन ए सिनेमाघर भी थे।

३)लोगों को नेताजी की मूर्ति को देखकर उनके द्वारा देश को आजाद किए गए परिश्रम याद करते लगते थे । लोगों को सुभाष चंद्र बोस जी के दिल्ली चलो और तुम मुझे खून दो मैं तुम्हें आजादी दूंगा जैसे नारे याद आने लगते थे।

४)नेताजी का चश्मा हर बार इसलिए बदल जाता था क्योंकि कैप्टन साहब जो फेरी लगाकर चश्मा बेचा करता था उसे नेताजी के बिना चश्मे वाली मूर्ति बहुत अजीब सी लगती थी इसलिए वह अपनी छोटी-सी दुकान का एक छोटा सा चश्मा उनकी मूर्ति पर लगा दिया करता था जब कोई ग्राहक आ के उसी प्रकार का फ्रेम मांगता था जैसा मूर्ति पर लगा हुआ होता था तो वह उसे निकाल कर उसके स्थान पर मूर्ति पर दूसरा चश्मे का फ्रेम लगा देता था इस प्रकार हर बार फ्रेम बदल जाया करता था।

५) हालदार साहब कैप्टन साहब की देशभक्ति पर नतमस्तक इसलिए हो गए थे क्योंकि कैप्टन साहब बहुत गरीब होने के बावजूद भी जो फेरी लगा लगा कर अपने चश्मे बेचकर पेट पालन करते थे उन कैप्टन साहब के मन में सुभाष चंद्र बोस जी के लिए बहुत सम्मान था और उन्हें उनकी बिना चश्मे की मूर्ति अच्छी नहीं लगती थी इसलिए वह उनकी मूर्ति र्कीआंखों पर चश्मा लगा देते थे।

६)जब पान वाले के माध्यम से हालदार साहब को पता चला कि एक कैप्टन साहब नामक व्यक्ति सुभाष चंद्र बोस जी की मूर्ति पर चश्मा बदल देता है तो उन्होंने यह सोचा कि वह उन सुभाष चंद्र बोस जी का न्यू कैप्टन साहब कोई पुराना साथी होगा या आजाद हिंद फौज का भूतपूर्व सिपाही होगा परंतु ऐसा नहीं था और कैप्टन साहब तो एक गरीब चश्मे वाला था जो फेरी लगाकर चश्मे बेच कर अपना पेट पालता था।।

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