1) नाव गर्व से सर उठा कर नदी की लहरों पर दौड़ती चली जाती है, और पानी उसकी जयकार करता हुआ उसे अपने हाथों पर उठाए रहता है, कितु जब नाव डूबती है तो अपने ही छोटे से छेद के कारण जो धीरे-धीरे कब हो गया वह जान ही नहीं पाती और छेद हो जाने पर वही पानी उसे खींच कर डुबो देता है । व्यक्ति भी जब डूबता है तो अपने ही किसी छेद के कारण डूबता है, जिसे उसने मामूली सा समझ कर अनदेखा कर दिया था। हर विपत्ति हम पर तभी हावी होती है, जब हम ढीले पड़ जाते हैं । यदि हम प्रतिदिन सजग होकर इस बात पर दृष्टि दौड़ाते रहे कि हमारे प्रयासों में कहीं कोई कमी तो नहीं रह गई, तो कोई हमें पराजित नहीं कर सकता । अपने कल को कायर और निकम्मे लोग याद करके पछताते रहते है, जहाँ हम कल खड़े थे वही खड़े रहना अपराध है । जो कुछ और जिस रूप में हमने कोई काम कल किया था, उससे कहीं बेहतर करने का संकल्प और प्रयत्न करना हमारा धर्म होना चाहिए। इस गद्यांश पर आधारित निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए- ग) कोई भी विपत्ति हम पर कब हावी होती है?
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हर विपत्ति हम पर तभी हावी होती है, जब हम ढीले पड़ जाते हैं ।
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