1. Nadi mein uthti lahre kiska pratik Hai
2. Nadi ko Parvat se bhi Mahan kyo Kaha gaya hai
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Answer:
Explanation:
नदी क्रांति और शांति तथा निरंतर गतिमान रहने का प्रतीक है | गाँवो को जीवन प्रदान करने के कारण वो केवल महतारी ही नहीं है अपितु संस्कृतियों के विकास-पतन की क्षमता रखने के कारण वह एक क्रांतिकारिणी भी है | वस्तुत: वे मानव सभ्यता के पनपने में मूल घटक है उनके बिना जीवन की कल्पना संभव ही नही है | वे हमें केवल जल आपूर्ति ही नहीं करती बल्कि हमारे घरों में बिजली के संसाधन, नदियों पर बने बांधों से उत्पन्न बिजली से ही चलायमान होते है | इसलिए कवि कहते है अगर नदियाँ हमसे रूठ गई तो जीवन रूठ जाएगा | अस्तु वे जीवनदायिनी भी है |
नदी को पर्वत से महान इसलिए कहा गया है क्योंकि नदी गतिमान रहकर सभ्यताओं का विकास करने का सामर्थ्य रखती है | वह सतत बहती है जबकि पर्वत स्थिर है | कवि के अनुसार नदी एक माँ की भाँति जीवनदायिनी है जबकि पर्वत उसके बालक है | पर्वत केवल अपने क्षेत्र के पेड़ – पौधों का विकास करने में सहायक होते है वहीं पर नदियाँ जहाँ – जहाँ जाती है उस क्षेत्र की प्यास बुझाती है तथा फसलों का पोषण करती हैं |
Answer:
- नदी में उठती लहरें संस्कृति के उत्थान - पतन का प्रतीक है।
- नदी का जीवन संघर्षमय होता है। यह पर्वत से निकलती है। उसमें इतनी ताकत होती है कि वह पर्वत की बड़ी-बड़ी चट्टानों को तोड़कर उसे समतल बना सकती है। जहां पर्वत एक ही जगह पेड़ों की हरियाली ओढ़े खड़ा रहता है। पर नदी खेत खलिहान गांव शहरों में पानी पहुचाती है। सबको घरों में रोशनी लाती है। सब की प्यास बुझाती है। इसलिए नदी को पर्वत से महान कहा गया है।