English, asked by nainaahirwar67, 7 days ago

1. नरवा, शिक्षकों के साथ भ्रमण किया होगा। इनमें से किसी एक की उपयोगिगरूवा, घुरवा, बाड़ी योजना अं के बारे में योजना बनाइए।तर्गत आप सभी नेता​

Answers

Answered by bhattpanditpramod
0

Explanation:

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने राज्य के किसानों को आत्मनिर्भर बना कर गांव की अर्थव्यवस्था को सुधारने और पशुओं को संरक्षण देने के लिए सुराजी गांव योजना को शुरू किया है. यहां जानकारी के लिए बता दें कि इस योजना के माध्यम से गांव में रहने वाले लोगों की आर्थिक दशा को सुधारा जाएगा. अगर आप छत्तीसगढ़ के रहने वाले एक नागरिक हैं और आपको सुराजी गांव योजना के बारे में जानकारी नहीं है तो हमारे आज के इस पोस्ट को अंत तक पड़े क्योंकि हम इस योजना के बारे में सारी जानकारी आज देने वाले है

रायपुर: प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जमीन से जुड़े हुए किसान होने के साथ ही आम जनता के लिए अत्यधिक संवेदन शील भी हैं. वे जानते हैं छत्तीसगढ़ का व्यक्ति स्वाभिमानी है, अपनी जड़ों से जुड़ा रहना जानता है और चाहता भी है. इसलिए वे हमेशा छत्तीसगढ़ की संस्कृति, विरासत को सहेजने ,संवारने में जुटे रहते हैं. उनका यह सपना है कि हमारे गांव आत्मनिर्भर बने. वे महात्मा गांधी की परिकल्पना के अनुसार सुराजी गांव बनाना चाहते हैं. इसलिए 17 दिसंबर 2018 को शपथ लेने के बाद ही उन्होंने छत्तीसगढ़ के चार चिनारी नरवा, गरवा, घुरवा, बारी का मूल मंत्र दिया, जिसे शुरू में प्रशासनिक अधिकारियों को समझने में दिक्कत हुई लेकिन छत्तीसगढ़िया को ये शब्द अपने गांव, घर के लगे और वे मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के गांव वालों की मुश्किलों को समझने और उसका हल करने वाले लगे

नरवा, गरवा योजना से गांव के गौठान न केवल आर्थिक गतिविधियों के केंद्र बने बल्कि महिला सशक्तिकरण के भी केंद्र बने क्योंकि वहां किए जाने वाले कामों में गोबर संग्रहण के अलावा वर्मी कल्चर ,बतख पालन, मशरूम पालन भी सब्जी-भाजी उगाने मे महिलाओं ने बढ़ चढ़कर भागीदारी की. कोरोना काल में जब गांव में लॉकडाउन के समय पुरुषों को बाहर का काम नहीं मिल रहा था, तब इन महिलाओं ने अपनी बारी में सब्जियां उगा कर बेची और परिवार के लिए सहारा बनी. इसी प्रकार स्व सहायता समूहों के माध्यम से अनेक महिलाओं को अपने परिवार को आर्थिक रूप से मदद करने का मौका मिला और इन सब से उनकी सामाजिक स्थिति भी मजबूत हुई.

नरवा गरवा वाली वाली योजना ने न केवल गांव वालों को आर्थिक रूप से सक्षम किया बल्कि पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से भी यह योजना एक गेम चेंजर साबित होगी. इससे ना केवल नालों का संरक्षण हो रहा है बल्कि भूजल स्तर भी बढ़ रहा है और गुरुवा में ऑर्गेनिक खाद वर्मी कंपोस्ट बनने से खेती के लिए भी यह फायदेमंद हो रहा है. यहां तक की इस योजना की चर्चा और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भी हो रही है यह शोध का विषय भी बन रहा है.

छत्तीसगढ़ राज्य को एक ऐसे मुख्यमंत्री मिले हैं जो छत्तीसगढ़िया संस्कृति और परंपराओं पर गर्व करते हैं और उन्होंने छत्तीसगढ़ में पोला, छेरछेरा ,तीजा आदि मनाने के लिए अवकाश भी दिया. यह सांकेतिक ही नहीं था बल्कि इसके गूढ अर्थ भी हैं कि हमें अपनी संस्कृति से जुड़े रहना कितना जरूरी है. मुख्यमंत्री केवल किसानों की नहीं बल्कि आदिवासी अंचलों में रहने वाले लोगों की उतनी ही परवाह करते हैं. उनके लिए 31 से अधिक लघु वनोपजो को समर्थन मूल्य में खरीदने का फैसला लिया. उनके उत्पादों के प्रसंस्करण के लिए इकाइयां खोली गई. उनके लिए बीमा योजना चालू की गई. मुख्यमंत्री हाट बाजार योजना, महतारी एक्सप्रेस आदि के जरिए हजारों आदिवासियों को स्वास्थ्य सुविधा मिल रही है. स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को मुफ्त में यूनिफॉर्म, पुस्तकें, मिड डे मील मिल रहा है. शहर में रहने वाले वंचित वर्गों के लिए भी स्वास्थ्य सुविधा शुरू की गई हमरअस्पताल के तहत उसे सभी सुविधाओं से लैस किया गया

इसके अलावा छत्तीसगढ़ सरकार यहां के कलाकारों को भी संरक्षण दे रही है और उन्हें सम्मानित भी कर रही है. युवाओं के हुनर को मंच देने के लिए अगले साल जनवरी में राष्ट्रीय युवा महोत्सव भी आयोजित किया जा रहा है. नवंबर में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में जिस प्रकार पूरा शासन -प्रशासन आयोजन को सफल बनाने के लिए लगा रहा उससे समझ में आता है कि मुख्यमंत्री आदिवासियों और कला, संस्कृति को कितना महत्व देते हैं. छत्तीसगढ़ में सामाजिक समरसता और सभी धर्मों का समान रूप से आदर होता आ रहा है. इसके प्रमाण सिरपुर के बौद्ध विहार जैनों के मंदिर और यहां के 6-7 शताब्दी के हिंदू मंदिरों से मिलते हैं. छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल माना जाता है और कौशल्या माता यहां की बेटी हैं. इस नाते से यहां भांजे को बहुत महत्व दिया जाता है. शबरी ने जूठे बेर भगवान राम को यही खिलाए थे. ऐसी अनेक लोक कथाएं और मान्यताओं में भगवान राम और माता सीता की कहानियां सुनने को मिलती है. इन्हीं मान्यताओं को मूर्त रूप देने के लिए राम वन गमन पथ को संवारने का, सहेजने का काम भी छत्तीसगढ़ सरकार कर रही है.

छत्तीसगढ़ में धान खरीदी के लिए दूर हो सकती है बारदाने की कमी!, इस वजह से जगी उम्मीद

आज‌ हम एक ऐसे छत्तीसगढ़ के निर्माण के साक्षी हो रहे हैं जिसमें सभी के लिए काम है सभी की आवाज सुनी जा रही है, सबको स्वास्थ्य की सुविधा मिल रही है, बच्चों को पढ़ाई के भरपूरअवसर मिल रहे हैं महिलाओं को सम्मान मिल रहा है. ऐसा है हमारा नवा छत्तीसगढ़.

Similar questions