Hindi, asked by madhushuklas, 6 months ago

(1) और भाँति कुंजन में गुजरत भीर भौर,
औरे डौर झौरन पैं, बौरन के हवै गये।
कहैं पद्माकर सु
औरे भाँति गलियानि,
yा छलिया छबीले छैल और छबि छ्वै गये।
औरै भाँति बिहज-समाज में आवाज होति,
ऐसे रितुराज के न आज दिन द्वै गये।
औरै रस औरै रीति औरै राग और रंग,
और तन और मन औरै बन वै गये।।​

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Answered by mail2sibani10
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