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पुल
Ramte
राघवजू जननी अंक लसे।
परी प्राची दिशि जनु शरद सुधाकर, पूरन है निकसे ॥
भाल तिलक सोहत श्रुति कुण्डल, दृग मनसिज सरसे।
मनहुँ इन्दु मण्डल बिच अनुपम, मन्मध बारिज से॥
कल दंत वचन कबहुँ कहुँ किलकत बिलसत दशन हँसे।
दामिनि पटधर मनहुँ नीलधन, प्रेम अमिय बरसे।
खेलत शिशु लखि मुदित कौसिला झाँकत आँचर से।
यह शिशु छवि लखि नित 'गिरधर' हृदय नयन तरसे
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