1. प्राप्ति एवं भुगतान खाता से क्या आशय है ?
2. गैर-व्यावसायिक संस्थाओं से क्या आशय है ?
3. प्राप्ति एवं भुगतान खाता क्यों बनाया जाता है ?
4. आय-व्यय खाते में किस वर्ष से सम्बन्धित मदों के समायोजन किये जाते हैं?
5. प्राप्ति एवं भुगतान खाते की दो विशेषताएँ बताइए।
6. पेशेवर व्यक्ति किसे कहते हैं ?
7. गैर-व्यावसायिक संस्थाओं की आय के चार स्रोत बताइए।
8. आय-व्यय खाते से क्या आशय है?
9. चालू वर्ष का चन्दा ज्ञात करते समय कौन-सी मदें घटायी जाती हैं व कौन-सी मदें जोड़ी जाती है।
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१) प्राप्ति एवं भुगतान खाता एक लेखा वर्ष के अंत में नकद प्राप्तियों एवं नकद भुगतानों सारांश होता है। ... आय या व्यय का वो हिस्सा जो इस वर्ष नकद प्राप्त किया गया है या उसका भुगतान किया गया है उसको प्राप्ति एवं भुगतान खाते में दर्ज किया जाता है। इसमें पूंजीगत और राजस्व दोनों तरह के लेन-देन का विवरण दर्ज किया जाता है।
२)आयकर का निर्धारण- आयकर के निर्धारण के लिये भी गैर-व्यापारिक संस्थाएँ अपने प्राप्ति-भुगतान तथा आय-व्यय खाते तैयार करती हैं। 5. आर्थिक स्थिति ज्ञात करना- वर्ष के अन्त में अपनी वास्तविक आर्थिक स्थिति की जानकारी प्राप्त करने के लिये भी गैर-व्यापारिक संस्थाएँ अपने हिसाब-किताब तैयार करती हैं।
३)प्राप्ति एवं भुगतान खाता एक लेखा वर्ष के अंत में नकद प्राप्तियों एवं नकद भुगतानों सारांश होता है। ... इसलिए, इसमें पूर्व-प्राप्त या अर्जित आय और पूर्व-भुगतान या बकाया खर्चों के लिए कोई समायोजन नहीं किया जाता है। यह नकदी के आधार पर तैयार किया जाता है। इसका शेष अगले वर्ष के प्राप्तियों और भुगतान खाते में ले जाया जाता है।
५)यह खाता पूंजी और राजस्व प्रकृति दोनों के नकद लेनदेन को दर्शाता है। अधिकतर यह एक डेबिट बैलेंस दिखाता है। ओवरड्राफ्ट बैलेंस के असाधारण मामले में, इसका शुद्ध संतुलन क्रेडिट हो सकता है। यह चिंता लेखांकन वर्ष के अंतिम दिन तैयार करता है।
६)जो अपने व्यक्तिगत गुणों, शिक्षा व योग्यता की सहायता से समाज की सेवा करते हुए धन कमाते हैं, जैसे- शिक्षक, वकील, इंजीनियर, डाक्टर आदि।
७)गैर-व्यावसायिक संस्थाओं की आय के चार स्रोत --
विभिन्न व्यक्तियों, सरकार या संस्थाओं से अनुदान, शुल्क, चन्दे आदि
८)आय तथा व्यय खाते का उद्देश्य एक व्यापारिक संस्थान के लिए लाभ व हानि खाते की तरह ही होता है। ... सभी व्यय तथा हानियों को व्यय पक्ष में तथा सभी आय तथा लाभों को आय पक्ष में दर्शाया जाता है। यह निवल प्रचालन परिणाम, अधिशेष के रूप में (आय का व्यय पर आधिक्य) तथा छपाई (व्यय पर आय का आधिक्य) के रूप में दर्शाता है।