Hindi, asked by kasimtaherkuterwadli, 5 months ago

1.प्रकृति के तत्व पेड़,पहाड,पानी से हमें जीवन में क्या सीख मिलती हे तथा प्रकृति से ।
क्या-क्या मिलता है?​

Answers

Answered by amritabharati7250
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Answer:

  • गीता के अध्याय 13 के श्लोक 19 में लिखा है कि 'प्रकृतिं पुरुषं चैव विद्ध्यनादी उभावपि विकारांश्च गुणांश्चैव विद्धि प्रकृतिसंभवान्।।' इस श्लोक का अर्थ है कि 'तुम प्रकृति और पुरुष दोनों की ही अनादि जानो. और विकारों और गुणों को तुम प्रकृति से उत्पन्न हुआ जानो.' इस श्लोक को जानना इसलिए भी ज़रूरी है क्योंकि आज प्रकृति के प्रति जो रवैया हमने इख़्तियार कर लिया है. उससे न सिर्फ़ हम प्रकृति, बल्कि ख़ुद के भी पैरों में कुल्हाड़ी मार रहे हैं. इस श्लोक को लोगों ने अपने-अपने हिसाब से अनुवाद किया, पर इसका मूल भाव यही रहा कि प्रकृति आपको बहुत कुछ सिखाती है. आज हम भी आपके लिए प्रकृति के कुछ ऐसे ही सबक ले कर आये हैं, जो जीवन के मूल मंत्र से कम नहीं.
  • वृक्ष
  • बदलते मौसम के साथ बदलते हुए भी अपने अस्तित्व को बनाये रखना वृक्ष हमें अच्छे से सिखाते हैं. सर्दी के मौसम का बिना कोई विरोध किये वृक्ष अपने पत्तों को गिराने लगते हैं. वृक्ष का हर पत्ता निर्विरोध के लाल होने लगता है, जबकि गहराई से ज़मीन में निहित वृक्ष की जड़ें इंसान को ज़मीन से जुड़े रहना सिखाती हैं. वृक्ष की फैली शाखाएं ब्रह्मांड को आत्मसमर्पण का प्रतीक हैं, जो कहती है कि आप मुझे विश्वास है कि ये मेरे सर्वोच्च अच्छे के लिए ही है.

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