1. प्रस्तुत पंक्तियों के भावार्थ लिखें।
क) जाके प्रिय न राम वैदेही,
ताजिए ताहि कोटि बैरी सम
जपी परम स्नेही।।
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जाके प्रिय न राम-बदैही। तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही॥ तज्यो पिता प्रहलाद, बिभीषन बंधु, भरत महतारी। ... नाते नेह राम के मनियत सुहृद सुसेब्य कहौं कहाँ लौं।
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जाके प्रिय न राम-बदैही। तजिये ताहि कोटि बैरी सम, जद्यपि परम सनेही॥ तज्यो पिता प्रहलाद, बिभीषन बंधु, भरत महतारी। ... नाते नेह राम के मनियत सुहृद सुसेब्य कहौं कहाँ लौं।
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