1.प्रश्न - जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है। अब तो जूते की कीमत और भी बढ़ गई है और एक जूते पर पच्चीसों टोपियाँ न्यौछावर होती हैं। इसमे कौन-सा व्यंग्य छिपा है ? लेखक को टोपी से जूता महँगा क्यों लगता है ?
iska ans kya huga
argent please
Answers
➲ जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है, अब तो जूते की कीमत और भी बढ़ गई है और एक जूते पर पच्चीसों टोपियां न्योछावर होती हैं। इस बात में यह व्यंग निहित है कि यहाँ पर जूते का आशय संपत्ति से है, तथा टोपी का आशय मान-मर्यादा-प्रतिष्ठा से है।
मान-मर्यादा, प्रतिष्ठा का महत्व हमेशा संपत्ति से अधिक होता है, जिन लोगों में स्वाभिमान होता है जो अपनी मान मर्यादा को महत्व देते हैं, अर्थात जो टोपी वाले होते हैं, उनके आगे जूते का कोई महत्व नही।
लेकिन आज के समय उल्टा हो गया है। आज जूते यानि धन-सम्पत्ति वालों का महत्व अधिक हो गया है। ऐसे लोग अपने धन की सामर्थ्य के बल पर अनेक टोपियों वालों अर्थात गुणवान और मान-मर्यादा वाले व्यक्तियों को अपने सामने झुकाने को विवश कर देते हैं।
◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌◌
Answer:
Explanation:
जूता हमेशा टोपी से कीमती रहा है, अब तो जूते की कीमत और भी बढ़ गई है और एक जूते पर पच्चीसों टोपियां न्योछावर होती हैं। इस बात में यह व्यंग निहित है कि यहाँ पर जूते का आशय संपत्ति से है, तथा टोपी का आशय मान-मर्यादा-प्रतिष्ठा से है। मान-मर्यादा, प्रतिष्ठा का महत्व हमेशा संपत्ति से अधिक होता है, जिन लोगों में स्वाभिमान होता है जो अपनी मान मर्यादा को महत्व देते हैं, अर्थात जो टोपी वाले होते हैं, उनके आगे जूते का कोई महत्व नही। लेकिन आज के समय उल्टा हो गया है। आज जूते यानि धन-सम्पत्ति वालों का महत्व अधिक हो गया है। ऐसे लोग अपने धन की सामर्थ्य के बल पर अनेक टोपियों वालों अर्थात गुणवान और मान-मर्यादा वाले व्यक्तियों को अपने सामने झुकाने को विवश कर देते हैं।
For more such type of questions:
https://brainly.in/question/36075630
#SPJ3