1. पाठ के किन अंशों से समाज की यह सच्चाई उजागर होती है कि पुरुष के बिना स्त्री का
कोई अस्तित्व नहीं है। क्या वर्तमान समय में स्त्रियों की इस सामाजिक स्थिति में कोई परिवर्तन
आया है?
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‘बेबी हालदार’ द्वारा लिखित ‘आलो आंधारि’ नामक पाठ से समाज की कड़वी सच्चाई उजागर होती है। पाठ में लेखिका के साथ हुई घटना से यह पता चलता है कि पुरुष सत्तात्मक समाज में पुरुष के बिना स्त्री को अधूरा समझा जाता है।
लेखिका जो कि अपने पति से अलग अपने तीन बच्चों के साथ अकेली रहती थी, उसको बिना पुरुष के सहारे अपने जीवन यापन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। वह पहले जहाँ रहती थी तो वहाँ लोग उसको अकेले रहते देखकर तरह-तरह के सवाल करते पर फब्तियां कसते और उसको देखकर कानाफूसी करते। वह काम ढूँढने जाती तो भी लोग तरह-तरह के सवाल करते, कि अकेली क्यों रहती है?, उसका स्वामी किधर है? इसी तरह काम ढूँढते और मकान तलाशते तलाशते उसने लोगों की गंदी नजरों और गंदी सोच का सामना करते हुए संघर्ष में जीवन बिताया।
पुरुष के बिना रहने वाली अकेली स्त्री को समाज में कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता हैं, पाठ के निम्नलिखित अंशों के माध्यम से यह सच्चाई उजागर होती है।
‘बच्चों के साथ घर में अकेले रहते देख आसपास के सभी लोग पूछते, तुम यहां अकेली क्यों रहती हो? तुम्हारा स्वामी क्यों नहीं आता? किसी किसी दिन घर पहुंचने में देर हो जाती तो मकान मालिक की स्त्री उसने चली आती कि इतनी देर कहां हुई? वो कहती कहां जाती है, रोज-रोज। तेरा स्वामी नहीं है तू तो अकेली रहती है तुझे इतना घूमने फिरने की क्या जरूरत। जब मैं बच्चों के साथ कहीं जा रही होती तो लोग तरह-तरह के बातें करते। सीटियां मारते, ताने मारते।
लेखिका द्वारा पुस्तक में किए गए इन हवाओं से वर्तमान समय में युवाओं की सामाजिक स्थिति के विषय में पता चलता है कि अकेली स्त्री के लिए इस पुरुष सत्तात्मक समाज में रहना कितना कठिन है।