1. 'पृथ्वी गोल है!' चित्र-कथा का सार अपने शब्दों में लिखें।
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पृथ्वी गोल है ! तथ्य का ज्ञान कैसे हुआ ?
लेखक : अज़ीज़ राय, प्रकाशन की तारीख : फ़रवरी 09, 2016 | टिप्पणियाँ : 21
आकार : अ⁻ | अ⁺
पृथ्वी गोल है ! कहना, आज जितना सरल और सही लगता है। आज से लगभग पांच सौ वर्ष पूर्व पृथ्वी को गोल कहना उतना सरल और सही नहीं लगता था। क्योंकि तब हम पृथ्वी को सपाट मानते थे। ऐसा नहीं है कि पृथ्वी को सपाट मानने के पीछे हमारे पास कोई तर्क नहीं थे। हमारे पास वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं था या पृथ्वी को सपाट मानना महज एक कोरी कल्पना थी। बल्कि पृथ्वी को सपाट मानने के पीछे हम मानवों के पास सबसे बड़ा साक्ष्य था। अर्थात "आप स्वयं देखकर के (अवलोकन करके) बताओ कि पृथ्वी आपको कैसी मालूम पड़ती है ?" आज भी आपका उत्तर पृथ्वी को सपाट ही कहेगा, न कि पृथ्वी को गोल कहेगा। इसे आगमन विधि कहते हैं। परन्तु आज हम जानते हैं कि पृथ्वी की संरचना गोल है। अब प्रश्न यह उठता है कि सर्वप्रथम किसने पृथ्वी के रूप का पता पृथ्वी के सपाट होने और पृथ्वी के गोल होने के रूप में लगाया था ? सच कहूँ तो हम्मे से यह किसी को भी पता नहीं है कि सर्वप्रथम पृथ्वी को सपाट किसने कहा था ? परंतु ऐसा कैसे हो सकता है !! दरअसल वास्तविकता यह है कि पृथ्वी गोल है इस तथ्य को हमने समय के साथ भुला दिया था और मानव जाति एक बार पुनः पृथ्वी को सपाट मानने लगी थी। अर्थात पृथ्वी के गोल होने का पता सर्वप्रथम पांच सौ वर्ष पूर्व नहीं लगाया गया था। बल्कि न केवल यूनानी, भारतीय लोग भी पृथ्वी के गोल होने को सही मानते थे। वे तर्क और प्रमाण दोनों देते थे। बाबजूद हम सभी एक बार फिर पृथ्वी को सपाट मानने के भ्रम में फंस गए थे।
जब हम पृथ्वी के किसी एक भू-भाग का भ्रमण करते हैं, तो हम अवलोकन द्वारा यह नहीं बता सकते हैं कि पृथ्वी गोल है। क्योंकि पृथ्वी प्रेक्षक के रूप में हम मानवों की तुलना (आकार) में बहुत बड़ी है और दूसरी बात हम मानव पृथ्वी के धरातल में रहते हैं। इसलिए प्रेक्षक के रूप में हम मानव किसी एक भू-भाग के अवलोकन द्वारा पृथ्वी के रूप का सही पता नहीं लगा सकते हैं।
Answer:
पृथ्वी गोल है ! कहना, आज जितना सरल और सही लगता है। आज से लगभग पांच सौ वर्ष पूर्व पृथ्वी को गोल कहना उतना सरल और सही नहीं लगता था। क्योंकि तब हम पृथ्वी को सपाट मानते थे। ऐसा नहीं है कि पृथ्वी को सपाट मानने के पीछे हमारे पास कोई तर्क नहीं थे। हमारे पास वैज्ञानिक दृष्टिकोण नहीं था या पृथ्वी को सपाट मानना महज एक कोरी कल्पना थी। बल्कि पृथ्वी को सपाट मानने के पीछे हम मानवों के पास सबसे बड़ा साक्ष्य था। अर्थात "आप स्वयं देखकर के (अवलोकन करके) बताओ कि पृथ्वी आपको कैसी मालूम पड़ती है ?" आज भी आपका उत्तर पृथ्वी को सपाट ही कहेगा, न कि पृथ्वी को गोल कहेगा। इसे आगमन विधि कहते हैं। परन्तु आज हम जानते हैं कि पृथ्वी की संरचना गोल है। अब प्रश्न यह उठता है कि सर्वप्रथम किसने पृथ्वी के रूप का पता पृथ्वी के सपाट होने और पृथ्वी के गोल होने के रूप में लगाया था ? सच कहूँ तो हम्मे से यह किसी को भी पता नहीं है कि सर्वप्रथम पृथ्वी को सपाट किसने कहा था ? परंतु ऐसा कैसे हो सकता है !! दरअसल वास्तविकता यह है कि पृथ्वी गोल है इस तथ्य को हमने समय के साथ भुला दिया था और मानव जाति एक बार पुनः पृथ्वी को सपाट मानने लगी थी। अर्थात पृथ्वी के गोल होने का पता सर्वप्रथम पांच सौ वर्ष पूर्व नहीं लगाया गया था। बल्कि न केवल यूनानी, भारतीय लोग भी पृथ्वी के गोल होने को सही मानते थे। वे तर्क और प्रमाण दोनों देते थे। बाबजूद हम सभी एक बार फिर पृथ्वी को सपाट मानने के भ्रम में फंस गए थे।जब हम पृथ्वी के किसी एक भू-भाग का भ्रमण करते हैं, तो हम अवलोकन द्वारा यह नहीं बता सकते हैं कि पृथ्वी गोल है। क्योंकि पृथ्वी प्रेक्षक के रूप में हम मानवों की तुलना (आकार) में बहुत बड़ी है और दूसरी बात हम मानव पृथ्वी के धरातल में रहते हैं। इसलिए प्रेक्षक के रूप में हम मानव किसी एक भू-भाग के अवलोकन द्वारा पृथ्वी के रूप का सही पता नहीं लगा सकते हैं।
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1)https://brainly.in/question/16818624
2)https://brainly.in/question/19836893