(1) पृथ्वी के आंतरिक बल से आप क्या समझते हैं?
(2) भूकम्प आने के समय अपनाई जा सकने वाली दो सावधानियाँ लिखिए।
(3) महाद्वीप और महासागर किस श्रेणी के उच्चावच हैं?
(4) पृथ्वी की आंतरिक परतों के नाम लिखिए।
(5) ज्वालामुखी विस्फोट में निकलने वाला लावा कहाँ एकत्रित रहता है?
(6) पठार किसे कहते है? ये मैदानों से किस प्रकार भिन्न है?
(7) स्थल मण्डलीय प्लेट किसे कहते है?
(8) मोड़दार पर्वत का निर्माण कैसे होता है?
(9) भू पर्पटी की सबसे अधिक मोटाई कहाँ होती हैं?
(10) रूपांतरित शैले कैसे बनती है?
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- आंतरिक भागों में पैदा होते हैं। इन बलों को अन्तर्जात बल भी कहते हैं। इन बलोंभूपटल की दरारों से भी लावा बाहर निकलता है। इस प्रकार के ज्वालामुखी विस्फोट दरार उद्गार कहलाते हैं, दरारों से निकलने वाला लावा विशाल क्षेत्रों में फैलता है। पश्चिम भारत का 5,00,000 वर्ग किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र लावे, (जो समय बीतने पर ठोस हो गया है) से ढका है। यहां लावे का जमाव 600 मीटर गहराई तक होता है। के कारण भूपृष्ठ में हलचल होती है जिन्हें पृथ्वी की हलचलें कहते हैं | मंद हलचलें जहां भौतिक लक्षणों में धीरे-धीरे व क्रमिक परिवर्तन लाती है वहीं आकस्मिक हलचलें यकायक व तीव्र परिवर्तन लाती हैं।
- भूकंप के वक्त अगर आप घर से बाहर हो तो ऊंची इमारतों और बिजली के खंभों से दूर रहें. 2. अगर गाड़ी चला रहे हो तो उसे रोक लें और गाड़ी से बाहर ना निकलें. कोशिश करें कि किसी पुल या फ्लाइओवर पर गाड़ी खड़ी ना करें.
- प्रथम श्रेणी उच्चावच:- इसके अन्तर्गत महाद्वीप एवं महासागरीय बेसिन को शामिल किया जाता है। 2- द्वितीय श्रेणी के उच्चावच:- पर्वत, पठार, मैदान तथा झील आदि द्वितीय श्रेणी के उच्चावच हैं।
- पृथ्वी की परतें: क्रस्ट, मेंटल एवं कोर
- क्रस्ट (Crust in Hindi)
- मैंटल (Mantle in Hindi)
- एस्थेनोस्फेयर
- कोर (Core in Hindi)
- भूपटल की दरारों से भी लावा बाहर निकलता है। इस प्रकार के ज्वालामुखी विस्फोट दरार उद्गार कहलाते हैं, दरारों से निकलने वाला लावा विशाल क्षेत्रों में फैलता है। पश्चिम भारत का 5,00,000 वर्ग किलोमीटर से भी अधिक क्षेत्र लावे, (जो समय बीतने पर ठोस हो गया है) से ढका है। यहां लावे का जमाव 600 मीटर गहराई तक होता है।
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- क्रस्ट एवं ऊपरी मेंटल की ऊपरी परत से निर्मित 5 किलोमीटर से लेकर 200 किलोमीटर मोटाई की ठोस परत अर्थात् स्थलमंडल के वृहद भाग को प्लेट कहते हैं। वस्तुतः पृथ्वी का स्थलीय दृढ़ भू-खंड ही प्लेट कहलाता है। यह कई खंडों में विभाजित होती है जो महाद्वीपीय और महासागरीय क्रस्ट से निर्मित होती है।
- जब दो प्लेटें एक साथ चलती हैं (एक कम्प्रेसनल प्लेट मार्जिन) तो फोल्ड पहाड़ बनते हैं। यह वह जगह हो सकती है जहां दो महाद्वीपीय प्लेटें एक दूसरे की ओर बढ़ती हैं या एक महाद्वीपीय और एक महासागरीय प्लेट होती हैं। दो प्लेटों की गति तलछटी चट्टानों को सिलवटों की एक श्रृंखला में ऊपर की ओर ले जाती है
- भूपर्पटी अथवा क्रस्ट की मोटाई 8 से 40 किमी. तक मानी जाती है। इस परत की निचली सीमा को मोहोरोविसिक असंबद्धता या मोहो असंबद्धता कहा जाता है। पृथ्वी पर महासागर और महाद्वीप केवल इसी भाग में स्थित हैं।
- रूपांतरित शैलें (Metamorphic rocks)- दाब, आयतन और ताप में परिवर्तन की प्रक्रिया के फलस्वरूप इन शैलों का निर्माण होता है। जब विवर्तनिक प्रक्रिया के कारण शैलें निचले स्तर की ओर बलपूर्वक खिसक जाती हैं या जब ऊपरी शैलों के कारण निचली शैलों पर दबाव पड़ता है, तब कायांतरण होता है।
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