1) प्यार का इशारा और क्रोध का दुधारा से क्या तात्पर्य है?
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- इरावती, नील, आमेजन आदि नदियाँ अपने अन्तर में समेटे हुए अपार जलराशि निरन्तर प्रवाहित हो रही है। उनमें वेग है, शक्ति है तथा अपनी जीव धारा के प्रति एक बेचैनी है। प्यार भी है, क्रोध भी है।
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प्यार का इशारा और क्रोध का दुधारा से कवि का यह तात्पर्य है कि चाहे जनता या वह जिस भी देश में निवास करते हो , उनके प्यार का इशारा अर्थात मानवतावादी दृष्टिकोण एक होता है। किसी भी प्रकार का बदलाव उसमे नहीं होता।
- कवि का कहना है कि जिस प्रकार मानवतावादी दृष्टिकोण एक होता है यदि प्रकार जब शोषक वर्ग के विरूद्ध क्रोध की धारा उबाल पड़ती है तब वह दो नहीं अपितु एक समान दिखाई देती है।
- संघर्ष शील व पीड़ित जनता अपने मानव अधिकारियों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रही है। यह जानता संसार के अनेक देशों में संघर्ष कर रही है तथा अपने कर्म व श्रम से शांति , न्याय तथा बंधुत्व की दिशा में प्रयास कर रही है।
- इस जनता में कवि एकता की भावना देखता है अतः वह कहता है " जन जन का चेहरा एक "।
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