Hindi, asked by AnureetKaurMand00010, 11 months ago

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Answered by ambicious2019
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लक्ष्य का निश्चय – मैं दसवीं  कक्षा का छात्र हूँ | मेरे मन में एक ही सपना है कि मैं इंजीनियर बनूँगा |लक्ष्यपूर्ण जीवन के लाभ – जब से मेरे भीतर यह सपना जागा है, तब से मेरे जीवन में अनेक परिवर्तन आ गये हैं  | अब मैं अपनी पढाई  की और अधिक ध्यान देने लगा हूँ | पहले क्रिकेट के खिलाडियों और फ़िल्मी पत्रिकाओं  में गहरी रूचि लेता था, अब में ज्यामिति की रचनाओं और रासायनिक मिश्रणों में रूचि लेने लगा हूँ | अब पढ़ाई में रस आने लगा है | निरुदेश्य पढ़ाई बोझ थी | लक्ष्बुद्ध पढ़ाई में आनंद है | सच ही कहा था कलाईल ने – “ अपने जीवन का एक लक्ष्य बनाओ, और इसके बाद अपना सारा शरीरिक और मानसिक बल, जो ईश्वर ने तुम्हें दिया है, उसमें लगा दो |”

      मेरा संकल्प – मैंने निश्चय किया  है कि मैं इंजीनियर बनकर एक संसार को नए-नए साधनों से संपन्न करूँगा | मेरे देश में जिस वस्तु की आवश्यकता होगी, उसके अनुसार मशीनों का निर्माण करूँगा | देश में जल-बिजली , सड़क या संचार-जिस भी साधन की आवश्यकता होगी, उसे पूरा करने में अपना जीवन लगा दूँगा |

      मैं गरीब परिवार का बालक हूँ | मेरे पिता किराए के एक मकान में रहे हैं | धन की तंगी के कारण हम अपना माकन नहीं बना पाए | यही दशा मेरे जैसे करोंड़ों बालकों की है | मैं बड़ा होकर भवन-निर्माण की ऐसी सस्ती, सुलभ योजनाओं में रूचि लूँगा | जिससे माकनहीनों को मकान मिल सकें |

       मैंने सुना है कि कई इंजीनियर धन के लालच में सरकारी भवनों, सड़कों, बाँधों में घटिया सामग्री लगा देते हैं | यह सुनकर मेरा ह्र्दय रो पड़ता है | मैं कदपि यह पाप-कर्म नहीं करूँगा, न अपने होते यह काम किसी को करने दूँगा |

       लक्ष्य-पूर्ति का प्रयास – मैंने अपने लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में प्रयास करने आरम्भ कर दिए हैं | गणित और विज्ञान में गहरा अध्ययन कर रहा हूँ | अब मैं तब तक आराम नहीं करूँगा, जब तक कि लक्ष्य को पा न लूँ |

कविता की ये पंक्तियाँ मुझे सदा चलते रहने की प्रेरणा देती हैं –

Answered by AnmolRaii
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मनुष्य का महत्वाकांक्षी होना एक स्वाभाविक गुण है । प्रत्येक व्यक्ति जीवन में कुछ न कुछ विशेष प्राप्त करना चाहता है । कुछ बड़े होकर डॉक्टर या इंजीनियर बनना चाहते हैं तो कुछ व्यापार में अपना नाम कमाना चाहते हैं ।

इसी प्रकार कुछ समाज सेवा करना चाहते हैं तो कुछ भक्ति के मार्ग पर चलकर ईश्वर को पाने की चेष्टा करते है । सभी व्यक्तियों की इच्छाएँ अलग-अलग होती हैं परंतु इनमें से बहुत कम लोग ही अपनी इच्छा को साकार रूप में देख पाते हैं । थोड़े से भाग्यशाली अपनी इच्छा को मूर्त रूप दे पाते हैं । ऐसे व्यक्तियों में सामान्यता दृढ़ इच्छा-शक्ति होती है और वे एक निश्चित लक्ष्य की ओर सदैव अग्रसर रहते हैं ।

मनुष्य के जीवन में एक निश्चित लक्ष्य का होना अनिवार्य है । लक्ष्यविहीन मनुष्य क्रिकेट के खेल में उस गेंदबाज की तरह होता है जो गेंद तो फेंकता है परंतु सामने विकेट नहीं होते । इसी भाँति हम परिकल्पना कर सकते हैं कि फुटबाल के खेल में जहाँ खिलाड़ी खेल रहे हों और वहाँ से गोल पोस्ट हटा दिया जाए तो ऐसी स्थिति में खिलाड़ी किस स्थिति में होंगे इस बात का अनुमान स्वत: ही लगाया जा सकता है । अत: जीवन में एक निश्चित लक्ष्य एवं निश्चित दिशा का होना अति आवश्यक है ।

मेरे जीवन का लक्ष्य है कि मैं बड़ा होकर चिकित्सक बनूँ और अपने चिकित्सा ज्ञान से उन सभी लोगों को लाभान्वित करूँ जो धन के अभाव में उचित चिकित्सा प्राप्त नहीं कर पाते हैं । मैं इस बात को अच्छी तरह समझता हूँ कि एक अच्छा चिकित्सक बनना आसान नहीं है ।

अच्छे विद्‌यालय का चयन, उसमें प्रवेश पाना तथा पढ़ाई में होने वाला खर्च आदि अनेक रुकावटें हैं । परंतु मुझे पूरा विश्वास है कि मैं इन बाधाओं को पार कर सकूँगा । इसके लिए मैंने बहुत कड़ी मेहनत का संकल्प लिया है । उचित मार्गदर्शन के लिए मैं अपने अध्यापक व अनुभवी छात्रों का सहयोग ले रहा हूँ ।

चिकित्सक बनने के बाद मैं भारत के उन गाँवों में जाना चाहता हूँ जहाँ पर अच्छे चिकित्सक का अभाव है अथवा जहाँ पर चिकित्सा केंद्र की व्यवस्था नहीं है । में उन सभी लोगों का इलाज नि:शुल्क करना चाहता हूँ जो धन के अभाव में अपना इलाज नहीं करा पाते हैं । इसके अतिरिक्त मैं उनमें अच्छे स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता लाना चाहता हूँ ।

वे किस प्रकार जीवन-यापन करें, सफाई, स्वास्थ्य एवं संतुलित भोजन के महत्व को समझें, इसके लिए मैं व्यापक रूप से अपना योगदान देना चाहता हूँ । आजकल कुछ परंपरागत रोगों का इलाज तो आसानी से संभव है लेकिन उचित जानकारी का अभाव, रोग तीव्र होने पर ही इलाज के लिए तत्पर होना जैसी समस्याएँ अशिक्षितों एवं ग्रामीणों की प्रमुख समस्याएँ हैं ।

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