1. पर्यटन का महत्व
1. विषय प्रवेश - पर्यटन का अर्थ 2. पर्यटन-एक उद्योग 3. विकास सूत्रधार 4. पर्यटन से लाभ 5. पर्यटन-एक शौक 6. उपसंहार । plz koi Meri madad kijiye mujhe in pure topic nibandh likhiye
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Explanation:
पर्यटन का महत्व
जीवन का असली आनंद घुमक्कड़ी में है ; मस्ती और मौज में है | प्रकृति के सौंदर्य का रसपान अपनी आँखों से उसके सामने उसकी गोद में बैठकर ही किया जा सकता है | उसके लिए आवश्यक है – पर्यटन |
पर्यटन के लाभ – पर्यटन का अर्थ है – घूमना | बस घुमने के लिए घूमना | आनंद-प्राप्ति और जिज्ञासा-पूर्ति के लिए घूमना | ऐसे पर्यटन में सुख ही सुख है | ऐसा पर्यटन दैनंदिन जीवन की भारी-भरकम चिंताओं से दूर होता है | जो व्यक्ति इस दशा में जितनी देर रहता है, उतनी देर तक वह आनंदमय जीवा जीता है |
पर्यटन का दूसरा लाभ है – देश विदेश की जानकारी | इससे हमारा ज्ञान समृद्ध होता है | पुस्तकीय ज्ञान उतना प्रभावी नहीं होता जितना कि प्रत्यक्ष ज्ञान | पर्यटन से हमें देश-विदेश के खान-पान, रहान-सहन तथा सभ्यता-संस्कृति की जानकारी मिलती है | इससे हमारे मन में बैठ हुए कुछ अंधविश्वाश टूटते हैं | हमें यह विश्वास होता है – विश्व – भर का मानव मूल रूप से एक है | हमारी आपसी दूरियाँ कम होती हैं | मन उदार बनता है | पूरा देश और विश्व अपना-सा प्रतीत होता है | राष्ट्रिय एकता बढ़ाने में पर्यटन का बहुत बड़ा योगदान है |
पर्यटन : एक उद्दोग – वर्तमान समय में पर्यटन एक उद्दोग का रूप धारण कर चूका है | हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर आदि पर्वतीय स्थलों की अर्थ-व्यवस्था पर्यटन पर आधारित है | वहाँ वर्षभर विश्व-भर से पर्यटक आते हैं और अपनी कमाई खर्च करते हैं | इससे ये पर्यटक-स्थल फलते-फूलते हैं | वहाँ के लोगों को आजीविका का साधन मिलता है |
पर्यटन के प्रकार – पर्यटन-स्थल अनेक प्रकार के हैं | कुछ प्रकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात हैं | जैसे-प्रसिद्ध पर्वत-चोटियाँ, समुद्र-तल, वन-उपवन | कुछ पर्यटन-स्थल धर्मित महत्व के हैं | जैसे हरिद्वार, वैष्णो देवी, काबा, कर्बला आदि | कुछ पर्यटन-स्थल एतेहासिक महत्व के हैं | जैसे लाल किला, ताजमहल आदि | कुछ पर्यटन-स्थल वज्ञानिक, सांस्कृतिक या अन्य महत्व रखते हैं | इनमें से प्राकृतिक सौंदर्य तथा धार्मिक महत्व के पर्यटन-स्थलों पर सर्वाधिक भीड़ रहती है |
Answer:
पर्यटन का अर्थ
पर्यटन का अर्थ है- मनोरंजन एवं आनंद के उद्देश्य से चारों ओर घूमना। मानव जन्मजात स्वभाव से ही जिज्ञासु प्रवृत्ति का रहा है। अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए आरम्भ से ही वह दूरदराज और दुर्गम स्थानों की यात्रा करता आ रहा है। ऐसा कहा जाता है कि आदिमानव का जीवन पर्यटनशील और घुमक्कड़ ही था। वह कभी एक स्थान पर टिककर नहीं रहता था। तब जीवन आज की तरह विकसित न थी और न ही आज की तरह जीवन और जीविका के साधन ही किसी एक स्थान पर उपलब्ध थे।
इसके लिए भी उसे दूरदराज की यात्राएँ करनी पड़ती थी। किंतु माना जाता है कि इससे भी बढ़कर यात्रा या पर्यटन करने के मूल में उसकी जिज्ञासा -वृत्ति ही थी ।यह वृत्ति और इसकी पूर्ति का अनवरत प्रयास आज का विकसित एवं सुख साधनों से संपन्न जीवन है। इस तथ्य को प्रायः सभी बुद्धिमान स्वीकार करते हैं। आधुनिक पर्यटन की प्रवृत्ति और उसके एक राष्ट्रीय – अंतरराष्ट्रीय उद्योग के रूप में विकास पाने के मूल में भी व्यक्ति की जिज्ञासा ,नई -नई खोजें करने की स्वाभाविक प्रवृत्ति ही कही जा सकती है।
Paryatan ka mahatva nibandh
विकास का सूत्रधार
राहुल सांकृत्यायन का कथन हैं कि आज तक विश्व का जो भी विकास संभव हो सका है , वह सिर्फ घुमक्कड़ों की कृपा से ही हुआ है । जितने भी धर्मों का विकास हुआ है , घुमक्कड़ों की कृपा से ही हो पाया है। कोलंबस और वास्कोडिगामा ने पर्यटन के बल पर ही भारत और अमेरिका जैसे देशों की खोज करने में सफल हो पाए ।
Paryatan ka mahatva nibandh
पर्यटन- एक उद्योग
अपनी प्राकृतिक एवं भौगोलिक विविधताओं के कारण भारत भूमि पर्यटन की दृष्टि से निश्चय ही एक महत्वपूर्ण स्थान है। हिमालय की पर्वत श्रृंखला और उसमें बसी फूलों की घाटी , कश्मीर का प्राकृतिक सौंदर्य , प्रकृति की रानी मसूरी , शिमला की प्राकृतिक भव्यता , अल्मोड़ा , नैनीताल , कुल्लू- मनाली का स्वास्थ्यप्रद वातावरण , बड़ी-बड़ी झीलें , सरोवर और आर-पार फैली हरी-भरी वृक्षावलियाँ, सभी कुछ तो अपने आप में भव्य और आकर्षक है। दिल्ली की कुतुब मीनार और लाल किले के साथ-साथ अन्य अनेक स्थल , आगरा का ताजमहल और फतेहपुर सीकरी के भवन आदि अपनी भव्यता की कहानी कह रहे हैं।
राजस्थान का लंबा चौड़ा इतिहास और उनके साथ जुड़े अनेक स्थल , मैसूर के भव्य भवन एवं चंदन-वन और भी न जाने क्या-क्या इस शस्य-श्यामल भारत भूमि पर विद्यमान है जो कि आरंभ से ही घुमक्कड़- पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र रहा और आज भी बना हुआ है। आज भी प्रतिवर्ष हजारों लाखों देशी-विदेशी पर्यटक अपनी जिज्ञासा वृत्ति को शांत करने के लिए यहाँ विद्यमान विभिन्न स्थानों पर पहुँचते हैं। परिणामस्वरूप भारत के लिए विदेशी पर्यटकों से विदेशी मुद्रा अर्जित करने का यह एक अच्छा साधन बन गया है। इसी कारण आज अन्य अनेक देशी-विदेशी उद्योगों के समय पर्यटन को भी एक लाभप्रद उद्योग माना जाने लगा है।
पर्यटन के लाभ
विदेशी मुद्रा तथा अन्य प्रकार की आय का लाभ पर्यटन से होता है। इसके अतिरिक्त कई तरह के प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष लाभ भी होते हैं। पर्यटन के माध्यम से अन्तराष्ट्रीयता की समझ जागती और विकास लाती है। प्रेम और मानवीय भाईचारा बढ़ता है। सभ्यता-संस्कृतियों एवं चेतनाओं का परिचय मिलता है। पर्यटन से संस्कृतियों में जो सहायक एवं अप्रत्यक्ष आदान-प्रदान हो जाया करता है, उससे हम अप्रत्यक्ष लाभ और उदात्त मानवीयता के विकास की संज्ञा दे सकते हैं। इसी प्रकार पर्यटन के माध्यम से किसी देश और उसकी सभ्यता-संस्कृति रीति- नीतियों , परंपराओं के संबंध में फैली भ्रांतियों का भी निराकरण हो जाया करता है। इस प्रकार भारत में पर्यटन को विशेष महत्वपूर्ण एवं लाभदायक कहा जा सकता है।
पर्यटन का सकारात्मक प्रभाव
● स्थानीय लोगों के साथ संवाद में वृद्धि।
● मेजबान देश के मानव व्यवहार में अनुकूल
परिवर्तन।
● स्थानीय उद्यमिता को प्रोत्साहन।
● रोजगार के अवसरों में वृद्धि।
● शिक्षाप्रद ज्ञान बढ़ाने का अवसर सीखने की
प्रेरणा।
● आधारभूत सेवाओं का आधुनिकीकरण।
● नगरीकरण का प्रसार।
● खोई हुई संस्कृति एवं प्रथाओं का पुनर्जागरण।
● प्रथाओं का पूर्ण मूल्यांकन एवं उनके महत्व में
वृद्धि।
● सांस्कृतिक स्मारकों का संरक्षक।
● वास्तु शिल्प एवं कला का उत्साहवर्धन।
● हस्तशिल्प के निर्माण में लगे लोगों को
प्रोत्साहन।
पर्यटन- एक शौक
आज पर्यटन मनुष्य के मनोरंजन का महत्वपूर्ण साधन बनता जा रहा है । वर्तमान युग में सभी लोग पर्यटन पर व्यय करने लगे हैं । पर्यटन से मनुष्य विभिन्न प्रकार की चिंताओं एवं तनावों से मुक्त रहता है । यह मुक्ति का मनुष्य के लिए सबसे अच्छा साधन है ।