1. पत्रकितनेप्रकारकेहोतेहैं ? आदर्शपत्रकेगुणबताइए
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Explanation:
पत्र सम्प्रेषण का एक सशक्त माध्यम हैं। दैनिक व्यवहार में पत्र दो व्यक्तियों में कम समय में कम से कम व्यय में एक ऐसा संपर्क सूत्र है, जिसमें पत्रों के माध्यम से व्यक्ति अपने मानस पटल के विभिन्न भावों को न केवल खोलता है अपितु अपने संबंधों को सुदृढ़ भी बनाता है।
पत्र लेखन हेतु आवश्यक बिन्दु
(1) पत्र - लेखन की भाषा शैली सरल, सुबोध, विषयानुकूल होनी चाहिए।
(2) उसकी भाषा मे विषयानुकुल, गरिमा, शालीनता, शिष्टता प्रकट होनी चाहिए।
(3) लेखन सुंदर, सुवाच्य, होना चाहिए तथा विचारों एवं भावों में स्पष्टता होनी चाहिए।
(4) विराम चिन्हों का आवश्यकतानुसार, यथास्थान प्रयोग होना चाहिए।
(5) शीर्षक, दिनांक, अभिवादन, विषय- वस्तु पत्र की समाप्ति क्रमानुसार होनी चाहिए।
(6) पत्र को पूर्ण रूप से प्रभावशाली बनाने के लिए, उसमें विषयोचित योग्यता, स्वास्थ्य दृष्टिकोण का भाव होना चाहिए।
Answer:
पत्र कितने प्रकार के होते हैं?
पत्र लेखन के प्रकार-
पत्रों को लिखने के निम्न दो प्रकार होते है –
औपचारिक
अनौपचारिक।
1.औपचारिक पत्र – सरकारी तथा व्यावसायिक कार्यों से संबंध रखने वाले पत्र औपचारिक पत्रों के अन्तर्गत आते है।
इसके अतिरिक्त इन पत्रों के अन्तर्गत निम्नलिखित पत्रों को भी शामिल किया जाता है।
• प्रार्थना पत्र
• निमंत्रण पत्र
• सरकारी पत्र
• गैर सरकारी पत्र
• व्यावसायिक पत्र
• किसी अधिकारी को पत्र
• नौकरी के लिए आवदेन हेतु
• संपादक के नाम पत्र इत्यादि।
2. अनौपचारिक पत्र – इन पत्रों के अन्तर्गत उन पत्रों को सम्मिलित किया जाता है, जो अपने प्रियजनों को, मित्रों को तथा सगे- संबंधियों को लिखे जाते है। उदहारण के रूप में – पुत्र द्वारा पिता जी को अथवा माता जी को लिखा गया पत्र, भाई -बंधुओ को लिखा जाना वाला, किसी मित्र की सहायता हेतु पत्र, बधाई पत्र, शोक पत्र, सुखद पत्र इत्यादि।