Hindi, asked by shesintha07, 9 months ago

1 point
(घ) पश्चिम का आधुनिक बोध
किससे पीड़ित है?
*
O (i) संदेहवादी दृष्टि
0 0 0
O (ii) आस्तिकवाद
O (iii) अस्तित्ववाद:
O (iv) कोई नहीं​

Answers

Answered by giriaishik123
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Answer:

अस्तित्ववाद (एग्जिस्टेशन्शिएलिज़्म / existentialism) अस्तित्ववाद मानव केंद्रित दृष्टिकोण हैं अर्थात् वह सम्पूर्ण जगत में मानव को सबसे अधिक प्रदान करता हैं उसकी दृष्टि में मानव एकमात्र साध्य है । प्रकृति के शेष उपादान "वस्तु" है

मानव का महत्व उसकी "आत्‍मनिष्‍ठता" मे हैं न कि उसकी "वस्‍तुनिष्‍ठता" में। विज्ञान,तकनीक के विकास और बुद्‍धिवादी दार्शनिकों ने मानव को एक "वस्तु" बना दिया है जबकि मानव की पहचान उसके अनूठे व्यक्तित्व के आधार पर होनी चाहिए ।

सार्त्र के अनुसार मनुष्य स्वतंत्र प्राणी हैं। यदि ईश्वर का अस्तित्व होता तो वह संभवतः मनुष्य को अपनी योजना के अनुसार बनाता। किंतु सार्त्र का दावा है कि ईश्वर नहीं है अतः मनुष्य स्वतंत्र है

स्वतंत्रता का अर्थ है- चयन की स्वतंत्रता। मनुष्य के सामने विभिन्न स्थितियों में कई विकल्प उपस्थित होते हैं। स्वतंत्र व्यक्ति वह है जो उपयुक्त विकल्प का चयन अपनी अंतरात्मा के अनुसार करता है, न कि किसी बाहरी दबाव में। कीर्केगार्द ने कहा भी है कि 'महान से महान व्यक्ति की महानता भी संदिग्ध रह जाती है, यदि वह अपने निर्णय को अपनी अंतरात्मा के सामने स्पष्ट नहीं कर लेता'।

1940 व 1950 के दशक में अस्तित्ववाद पूरे यूरोप में एक विचारक्रांति के रूप में उभरा। यूरोप भर के दार्शनिक व विचारकों ने इस आंदोलन में अपना योगदान दिया है। इनमें ज्यां-पाल सार्त्र, अल्बर्ट कामू व इंगमार बर्गमन प्रमुख हैं।

कालांतर में अस्तित्ववाद की दो धाराएं हो गई।

(१) ईश्वरवादी अस्तित्ववाद और

(२) अनीश्वरवादी अस्तित्ववाद

Answered by gaganbalaji2006
4

Answer:

option1

Explanation:

option 1 is the correct information

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