1) रैडिकल और उदारवादियों के प्रमुख विचार क्या थे?आप इन विचारों से क्यों सहमत या असहमत है?
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गरमपंथ और नरमपंथ कांग्रेस की एक ही लक्ष्य को रखने वाली दो विचारधाराएँ थी, गरमपंथियों का विचार था
की स्वराज प्राप्ति आंदोलन के द्वारा हो जबकि नरमपंथी विचार था कि ब्रिटिश शासन सही है
हमें केवल अनुनय विनय से भारतियों के हितों की बात मनवानी होगी,
नरमपंथियों को ये विश्वास था की ब्रिटेन में जो सरकार मूल अधिकारों की बात करती है वही सरकार भारत में अन्याय कैसे फैला सकती है अर्थात् ब्रिटेन के शासकों इस बात से परिचित नहीं हैं की हमारे ही लोग भारतियों का कितना शोषण कर रहे हैं,
और नरमपंथियों को यह भी डर था की लोगों में राष्ट्रीयता जैसी कोई भावना नहीं है और यदि हमने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर भी दिया तो भी देश एक नहीं हो पायेगा ये राजा- रजवाड़े फिर भी लोगों का शोषण ही करेंगे क्योंकि लोकतंत्र का हमें कोई अनुभव नही है और हम अभी उस स्थिति में नही हैं की स्वयम शासन चला सकें, और कांग्रेस अभी इतनी मजबूत भी नहीं थी अंग्रेज उनके आंदोलन का दमन भी कर सकते थे इसीलिए नरमपंथी कभी आंदोलन का समर्थन नहीं करते थे |
गरमपंथियों को यह विश्वास था कि ये अंग्रेज अनुनय विनय को मानने वाले नहीं हैं, ये तो देश को बांटना चाहते हैं क्योंकि कर्जन ने बंगाल को बिहार ,उड़ीसा और पूर्वी बंगाल में विभाजित कर दिया था तो बंगाल के लोगों का समर्थन भी अंग्रेजों के विरुद्ध प्राप्त होने लगा था इसी मौके का फायदा गरमपंथी उठाना चाहते थे और आंदोलन को संपूर्ण भारत में फैलाना चाहते थे जबकि उदारवादी बंगाल विभाजन को क्षेत्रीय ही रखना चाहते थे इस प्रकार दोनों की विचारधाराएँ अलग थी बल्कि लक्ष्य एक ही था
हम न तो नरमपंथियों के योगदान को भुला सकते हैं और न ही गरमपंथियों के योगदान को |