1) राइजोबीयम
2) लैक्टोबेसीलस
3) यीस्ट
4) प्रोटोजोआ
5) विषाणु
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- राइजोबीयम-भूमि का जीवाणु (बैक्टिरिया) है जो |नाइट्रोजन का यौगीकीकरण]] करता है। यह दलहनी फसल के लिए सर्वाधिक उपयुक्त जैविक उर्वरक ।एजोला नीले वायु शैवाल को ठीक करने वाले नाइट्रोजन के साथ मिलकर वायुमंडलीय नाइट्रोजन को ठीक करता है
- लैक्टोबेसीलस-एक जीवाणु है जो स्त्रियों की योनि में तथा मानवों के आहार नाल में पाया जाता है। इनका आकार दण्ड (रॉड) जैसा होता है।
- यीस्ट-खमीर एक कवक है। यह शर्करायुक्त कार्बनिक पदार्थ में बहुतायत से पाये जाने वाला विशेष प्रकार का कवक है। यह फूल विहीन पौधा है। इसका शरीर मूल, तना एवं पत्ति में विभक्त नहीं होता है।
- प्रोटोजोआ-प्रोटोजोआ छोटे, एक कोश वाले जानवर हैं जो नम वातावरण में रहते हैं, जैसे तालाब, दलदल और मिट्टी. ये खुद से जीवित रह सकते हैं या कभी-कभी एक परजीवी के रूप में ये बड़े पौधे या जानवर के अंदर रहते हैं.
- विषाणु-अकोशिकीय अतिसूक्ष्म जीव हैं जो केवल जीवित कोशिका में ही वंश वृद्धि कर सकते हैं।[1] ये नाभिकीय अम्ल और प्रोटीन से मिलकर गठित होते हैं, शरीर के बाहर तो ये मृत-समान होते हैं परंतु शरीर के अंदर जीवित हो जाते हैं। इन्हे क्रिस्टल के रूप में इकट्ठा किया जा सकता है। एक विषाणु बिना किसी सजीव माध्यम के पुनरुत्पादन नहीं कर सकता है। यह सैकड़ों वर्षों तक सुशुप्तावस्था में रह सकता है और जब भी एक जीवित मध्यम या धारक के संपर्क में आता है उस जीव की कोशिका को भेद कर आच्छादित कर देता है और जीव बीमार हो जाता है। एक बार जब विषाणु जीवित कोशिका में प्रवेश कर जाता है, वह कोशिका के मूल आरएनए एवं डीएनए की जेनेटिक संरचना को अपनी जेनेटिक सूचना से बदल देता है और संक्रमित कोशिका अपने जैसे संक्रमित कोशिकाओं का पुनरुत्पादन शुरू कर देती है।
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